छात्रों को अपंग कर देने के उद्देश्य से पीटा गया: रिपोर्ट
२७ दिसम्बर २०१९नागरिक स्वतंत्रता के लिए काम करने वाली संस्था पीयूडीआर के सदस्यों ने जामिया में जाकर स्थिति का जायजा लिया और एक रिपोर्ट तैयार की है. इसके मुताबिक वहां पुलिस ने "असहमति की आवाजों को दबाने के लिए कानून की रक्षा करने की जगह खुद कानून तोड़ने वाली शक्ति की तरह काम किया और छात्रों को अपंग कर देने या अधिकतम नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से पीटा."
नागरिकता कानून पर देश के कई हिस्सों में पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है. प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग मीडिया में लगातार आ रहा है, लेकिन अब नागरिक समाज के कुछ संस्थानों ने पुलिस की कार्रवाई का हिसाब रखने का बीड़ा उठाया है.
पीयूडीआर ने दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय में 15 दिसंबर को पुलिस कार्रवाई की असलियत जानने के लिए एक फैक्ट-फाइंडिंग मिशन भेजा. इसके तहत कई छात्रों, शिक्षकों, स्टाफ सदस्यों, डॉक्टरों, अभिभावकों, स्थानीय निवासियों और प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत की गई. गुरुवार को नई दिल्ली में पीयूडीआर ने अपनी रिपोर्ट जारी की. पीयूडीआर का कहना है कि16 से 19 दिसंबर तक चार दिन तक पड़ताल करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 दिसंबर से पहले 13 दिसंबर को भी पुलिस ने छात्रों के एक मार्च को रोकने की और छात्रों पर लाठियां बरसाईं, आंसू गैस छोड़ी और विश्वविद्यालय के परिसर के अंदर और आस पास सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान किया.
उधर, दिल्ली पुलिस पहले ही जामिया के छात्रों के खिलाफ अत्यधिक बल के उपयोग के आरोपों को खारिज कर चुकी है. दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी एमएस रंधावा का कहना है पुलिस ने किसी छात्र पर गोली नहीं चलाई थी और स्थिति को काबू में लाने के लिए न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया था. उन्होंने यह भी कहा था कि उन प्रदर्शनों में लगभग 30 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे, जिनमें एसीपी और डीसीपी स्तर के अफसर भी शामिल थे.
वहीं पीयूडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 400 आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया और गोलियां भी चलीं. अस्पतालों में घायलों की चोटों में गोलियों के घाव स्पष्ट हैं. इसके अलावा रिपोर्ट में लिखा है कि यह भी स्पष्ट है कि मारपीट के पीछे उद्देश्य अपंग कर देना या अधिकतम नुकसान पहुंचाना था.
रिपोर्ट के अनुसार पुलिस अनाधिकृत तरीके से परिसर में घुसी, ताले तोड़े, गार्डों को पीटा, सीसीटीवी कैमरे तोड़े और फिर वही अंधाधुंध लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. पुलिस पर लाइब्रेरियों, मस्जिदों, शौचालयों और बगीचों में घुस कर उन छात्रों को बेरहमी से पीटने के आरोप हैं जो प्रदर्शन में शामिल भी नहीं थे.
पीयूडीआर ने मांग की है कि एक जांच आयोग बनाया जाए जो दिल्ली पुलिस के 'अनाधिकृत, अनुचित और अत्यधिक शक्ति के इस्तेमाल' की जांच करे.
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