पीएम मोदी ने की राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा
५ फ़रवरी २०२०दिल्ली में विधानसभा चुनावों से ठीक तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदाताओं को फिर राम मंदिर की याद दिला दी. लोकसभा में प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मंदिर के निर्माण के लिए उनकी सरकार ने एक ट्रस्ट की स्थापना की मंजूरी दे दी है. ट्रस्ट का नाम होगा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और ये मंदिर के निर्माण से संबंधित हर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा. भारतीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अयोध्या के राजपरिवार से संबंध रखने वाले विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र इस ट्र्स्ट पहले सदस्य बताए जा रहे हैं.
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि पूरी 67.703 एकड़ की अधिग्रहित जमीन ट्रस्ट को दे दी जाएगी. इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी घोषणा की कि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक नई मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन प्रदान करें और राज्य सरकार ने इस अनुरोध को मान भी लिया है.
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इसके तुरंत बाद ही उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य सरकार में मंत्री श्रीकांत शर्मा ने घोषणा की कि सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन देने का निर्णय किया है.
दिल्ली में विधानसभा चुनावों के लिए शनिवार आठ फरवरी को मतदान होना है. चुनावों में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए पार्टी के सभी नेता चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. इनमें प्रधानमंत्री खुद भी शामिल हैं. वह इस अभियान में दिल्ली में दो रैलियों में भाषण दे चुके हैं जिनमें उन्होंने आम आदमी पार्टी सरकार की जम कर आलोचना भी की है.
एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया कि संसद का सत्र 11 फरवरी तक है और ये घोषणा अगर करनी ही थी तो दिल्ली चुनाव के बाद भी की जा सकती थी.
लेकिन जानकारों का कहना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा के अंदर रहने की कोशिश की है. 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा था कि अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर ही बनेगा और मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को कहीं और जमीन दी जाएगी. इस निर्णय को लागू करने के लिए अदालत ने तीन महीनों की मोहलत दी थी और ये अवधि दिल्ली चुनाव के अगले दिन खत्म हो जाएगी. लिहाजा 9 फरवरी से पहले ये घोषणा कर देना सरकार की मजबूरी थी.
कई मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने घोषणा की आलोचना की है. ओवैसी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड से अपील की कि वो जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा दे.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य सईद कासिम रसूल इलियास ने डीडब्ल्यू से कहा कि उन्हें विवादित स्थल से दूर ये जमीन स्वीकार्य नहीं है.