सीमा विवाद को लेकर कश्मीर में तनाव
२९ जून २०२०लद्दाख में भारत और चीन की सीमा पर लगातार बने हुए तनाव के बीच, जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा जारी किए गए दो निर्देशों की वजह से चिंता और घबराहट का माहौल बन गया है. ये दो निर्देश कश्मीर में एलपीजी सिलिंडरों के दो महीनों के स्टॉक की उपलब्धि सुनिश्चित करने और गांदेरबल जिले में सभी सरकारी स्कूलों को सुरक्षाबलों के रहने के लिए खाली करवाने के संबंध में हैं.
सिलिंडरों वाला निर्देश 27 जून का है और कश्मीर प्रशासन के फूड सिविल सप्लाइज एंड कंज्यूमर अफेयर्स विभाग के निदेशक द्वारा इलाके में सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के राज्य-स्तरीय कोऑर्डिनेटर के लिए जारी किया हुआ है. इसमें लिखा है कि जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल के सलाहकार का आदेश है कि घाटी में एलपीजी का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित किया जाए. निर्देश में इस कदम के पीछे जिस कारण का जिक्र है वो भूस्खलन की वजह से राष्ट्रीय राज्यमार्ग के बंद हो जाने की संभावना है.
स्कूलों को खाली कराने का निर्देश गांदेरबल पुलिस विभाग के सीनियर सुपरिंटेंडेंट द्वारा गांदेरबल के डिप्टी कमिश्नर को लिखा हुआ है. इसमें कम से कम 16 स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों को केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए खाली कराने का अनुरोध किया गया है. पत्र में लिखा है कि ये सुरक्षाकर्मी अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा के इंतजामों के लिए तैनात रहेंगे.
दोनों ही पत्रों में इन कदमों के पीछे उनके कारण की स्पष्ट चर्चा है लेकिन इसके बावजूद घाटी में इन कदमों को ले कर काफी संदेह इसलिए है क्योंकि इसी तरह के कदम वहां अगस्त 2019 में भी उठाए गए थे और उन्हें उठाने के कुछ ही दिनों बाद केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर राज्य का संवैधानिक दर्जा बदल कर उस से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था. गांदेरबल में कई स्थानीय लोगों ने डीडब्ल्यू को बताया कि वे वाकई इन सरकारी पत्रों को लेकर चिंतित हैं और चाहते हैं कि सरकार स्थिति के बारे में उन्हें पूरी जानकारी दे.
पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर कहा कि ये सरकारी निर्देश कश्मीर में घबराहट की स्थिति पैदा कर रहे हैं.
कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि इन निर्देशों को ले कर संदेह इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि इस मौसम में भूस्खलन के ज्यादा मामले नहीं होते हैं और अमरनाथ यात्रा इस साल होगी या नहीं, इसे ले कर निर्णय अभी नहीं लिया गया है. सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे में क्या इन तैयारियों के ये मायने हैं कि या तो चीन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की तैयारी हो रही है और अगस्त 2019 की घोषणाओं की तरह घाटी में फिर से कोई बड़ी घटना घटने वाली है.
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