ब्लॉग: ट्रंप को नहीं लोकतंत्र की परवाह
४ नवम्बर २०२०अमेरिका में चुनावी रात बिल्कुल वैसी ही रही, जैसा बहुत से विश्लेषकों और चुनावी पंडितों ने सोचा था. कम से कम एक मायने में तो जरूर, बुधवार की सुबह तक कोई भी उम्मीदवार स्पष्ट विजेता बनकर नहीं उभरा. बैटलग्राउंड कहे जाने वाले मिशिगन, विस्कोन्सिन और पेन्सिलवेनिया जैसे राज्य परिणाम में अब भी बहुत अहम भूमिका निभा सकते हैं. लेकिन अंतिम नतीजे आने में समय लगेगा.
कोई हैरानी नहीं हुई जब दोनों ही उम्मीदवारों ने मौजूदा स्थिति को पूरी तरह अनदेखा करते हुए अपने समर्थकों के सामने अपनी जीत का भरोसा जताया. डेमोक्रैटिक पार्टी की तरफ से उम्मीदवार जो बाइडेन स्थानीय समय के अनुसार बुधवार तड़के अपने गृह राज्य डेलावेयर में अपने समर्थकों से मुखातिब हुए.
बाइडेन ने कहा, "हमें पता था कि इसमें समय लगने वाला है." इसके साथ ही उन्होंने जीत के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के 270 वोट पाने के लिए वह अभी जहां तक पहुंचे हैं, उस पर उन्होंने संतोष जताया. उन्होंने जोर देकर कहा, "जब तक एक-एक वोट, एक-एक मतपत्र नहीं गिन लिया जाएगा, तब तक काम खत्म नहीं होगा,"
इस बार अमेरिकी चुनाव में तीन तरह के वोट हैं. पहले वोट हैं चुनाव के दिन मतदान केंद्र पर पड़ने वाले वोट. दूसरे, मतदान केंद्र पर पहले जाकर दिए जाने वाले वोट और तीसरे वोट हैं डाक मत पत्र वाले. इसीलिए सभी वोटों को गिनने में कई दिन लग सकते हैं.
यह पूरी तरह से वैध लोकतांत्रिक प्रक्रिया है. हालांकि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नजर में यह "चुनाव में धांधली" के लिए डेमोक्रैट्स की कोशिश है. बुधवार को बिना सबूत उन्होंने ट्वीट कर यह आरोप लगाया. ट्रंप की इस बात पर किसी को हैरानी तो नहीं होनी चाहिए, फिर भी उनका रवैया परेशान तो करता ही है.
बुधवार की सुबह दिए अपने भाषण में ट्रंप ने कई राज्यों में स्पष्ट जीत का दावा किया जबकि वहां अभी इतने वोटों की गितनी नहीं हो पाई थी कि किसी को विजेता घोषित किया जा सके. खास तौर से उन्होंने पेन्सिलवेनिया में अपनी बढ़त का जिक्र किया, इस बात का कोई जिक्र किए बिना कि वहां किस प्रकार के मत पत्रों की गिनती होनी बाकी है.
डाक के जरिए मिले बहुत सारे मत पत्रों को अभी खोला जाना है. विशेषज्ञों का मानना है कि रिपब्लिकन समर्थकों की तुलना में डेमोक्रैटिक समर्थकों ने ज्यादा डाक मतपत्रों का इस्तेमाल किया है. इसीलिए ट्रंप नहीं चाहेंगे कि उन्हें गिना जाए. लेकिन डेमोक्रैट्स को भी अभी मैदान नहीं छोड़ना चाहिए. जिन राज्यों में नतीजे आने बाकी हैं, उनमें से कई में ट्रंप आगे हो सकते हैं, लेकिन बहुत सारे वोटों की गिनती होनी अभी बाकी है जो बाइडेन को मिल सकते हैं.
स्थिति कुछ कुछ 2016 जैसी दिख रही है, लेकिन अभी तक सब कुछ खत्म नहीं हुआ है. ट्रंप अपनी जीत की भी घोषणा कर रहे हैं और वोटों की गिनती को "बड़ी धांधली" भी बता रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. इन सब बातों से वह लोकतंत्र में वोट पड़ने और उन्हें गिने जाने की प्रक्रिया के प्रति असम्मान प्रकट कर रहे हैं, वह भी महामारी के इस साल 2020 में.
ट्रंप के कदमों की स्वीकार्यता
बहुत से उदारवादी अमेरिकियों ने सोचा था कि बाइडेन स्पष्ट विजेता के तौर पर उभरेंगे और टक्कर इतनी कांटे की नहीं होगी. आखिरकार उनके उम्मीदवार ने एक ऐसे राष्ट्रपति के खिलाफ चुनाव लड़ा है जो अमेरिका में मुसलमानों के आने पर रोक लगाना चाहता है, जिसने महिला अमेरिकी सांसदों पर नस्लीय हमले किए हैं, जिसने अपने प्रतिद्वंद्वी को नीचा दिखाने के लिए यूक्रेन के साथ अमेरिकी सैन्य सहायता की सौदेबाजी करने के लिए महाभियोग का सामना किया और जिसके नेतृत्व में अब तक ढाई लाख लोग कोरोना महामारी से मारे गए हों.. यह फेहरिस्त बहुत लंबी है.
इन सब बातों के बावजूद बड़ी संख्या में अमेरिकी लोगों ने ट्रंप को वोट दिया है. बीते चार साल में ट्रंप के कदमों से साफ है कि अमेरिका में क्या क्या स्वीकार्य है. और यह दुख की बात है भले ही राष्ट्रपति चुनाव का विजेता कोई भी बने.
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