कोविड टीके को लेकर संशय जारी
१९ जनवरी २०२१केंद्र सरकार ने सोमवार 18 जनवरी को बताया कि टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक 3,81,305 लोगों को टीका लग चुका है. हालांकि सरकार यह जानकारी नहीं दे रही है कि कितनों को सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड लगाई गई है और कितनों को भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, लेकिन केंद्र सरकार के अस्पतालों में सिर्फ कोवैक्सिन ही लगाई जा रही है. लाखों लोगों को टीका लग जाने के बाद सोमवार को भारत बायोटेक ने कहा कि उसका टीका सबके लिए नहीं है.
कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर एक 'फैक्ट-शीट' जारी की जिसमें बताया गया है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कोवैक्सिन नहीं लेनी चाहिए. इसके अलावा जिन्हें कोई अलर्जी हो, बुखार हो, खून बहने से संबंधित कोई बीमारी हो, जिनकी इम्युनिटी कमजोर हो और इनके अलावा और कोई स्वास्थ्य संबंधी गंभीर शिकायत हो उन्हें कोवैक्सिन नहीं दी जानी चाहिए.
कंपनी के इस बयान को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह जानकारी टीकाकरण शुरू करने से पहले सरकार के पास थी और क्या कोवैक्सिन देने के लिए अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को चुनते समय इन बिंदुओं का ख्याल रखा गया था? सरकार ने अभी इस विषय में कुछ नहीं कहा है. सरकार ने बस इतना कहा है कि इनमें से सिर्फ 580 लोगों में कुछ दुष्प्रभाव देखे गए, लेकिन कोई भी मामला गंभीर नहीं है.
सात लोग अस्पताल में भर्ती हैं. टीका लगने के बाद दो लोगों की मौत भी हो गई, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उनकी मौत का टीके से कोई संबंध नहीं है. लेकिन टीकाकरण अभियान की रफ्तार अब धीमी पड़ रही है. देश के कई हिस्सों में कर्मचारी उतनी संख्या में टीकाकरण केंद्रों में नहीं आ रहे हैं जितनी अधिकारियों को उम्मीद थी.
मीडिया में आई कुछ खबरों के अनुसार दिल्ली के 81 केंद्रों पर सोमवार को तय लाभार्थियों में से सिर्फ 44 प्रतिशत लोग आए. लोक नायक अस्पताल में कार्यक्रम में तीन घंटों की देर हुई क्योंकि वहां सिर्फ दो लाभार्थी टीका लेने आए. एम्स दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर्स संगठन के पूर्व अध्यक्ष हरजीत सिंह भट्टी ने दावा किया है कि एम्स में भी सिर्फ आठ लाभार्थी कोवैक्सिन लेने आए जबकि तय था 100 लोगों का आना.
मांग उठ रही है कि सरकार जल्द इन आशंकाओं को संबोधित करे और इस बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से दे.
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore