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भारतीय तेज धावक दुति चंद ने मानी समलैंगिक होने की बात

२० मई २०१९

रनिंग ट्रैक की चैंपियन 23 साल की युवा स्प्रिंटर दुति चंद ने खुद महिला होकर एक महिला के साथ ही संबंध में होने की बात कही है.

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Indien Läuferin Dutee Chand
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Samad

100 मीटर दौड़ में भारत की राष्ट्रीय रिकॉर्डधारक एथलीट दुति चंद ने खुद को समलैंगिक बता कर खेल जगत में एक नई शुरुआत कर दी है. इससे पहले किसी भारतीय खिलाड़ी या एथलीट ने खुलकर ऐसा स्वीकार नहीं किया था. चंद ने कहा है कि वे अपने गांव की एक 19 साल की महिला के साथ चार साल से संबंध में हैं. सार्वजनिक रूप से इसे मानने के बाद उन्हें डर है कि उनका परिवार उन्हें अब ठुकरा देगा.

दुति चंद ने कहा, "मैं समलैंगिक संबंध में हूं और मुझे नहीं लगता इसमें कुछ भी गलत है." वे बताती हैं कि फिलहाल वे अपने करियर पर ध्यान दे रही हैं और आने वाले विश्व चैंपियनशिप एवं ओलंपिक पर नजर टिकाए हुए हैं.

भविष्य की योजना के बारे में कहती हैं, "जब मैं अपना खेल का करियर खत्म कर लूंगी और अगर तब भी मेरा मन कहता है कि मुझे उसी के साथ रहना चाहिए तो मैं ऐसा ही करूंगी."

इसके पहले दुति चंद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी लड़ाई लड़ने के कारण भी सुर्खियों में रहीं. ओडीशा के एक गांव में पैदा हुई चंद को एक किशोरावस्था में कई बार जेंडर टेस्ट से गुजरना पड़ा. सन 2014 में उनके शरीर में हाइपरएंड्रोजेनिज्म की कंडिशन का पता चला. इसमें शरीर के भीतर ज्यादा मात्रा में पुरुषों वाला हार्मोन टेस्टोस्टीरॉन निकलता है.

इसी कारण दुति चंद को अंतरराष्ट्रीय एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन ने खेलों से बाहर कर दिया. चंद अपना केस लेकर कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में गईं, जहां 2018 में फैसला उनके हक में हुआ. इसके बाद जकार्ता में हुए 2018 के एशियाई खेलों में हिस्सा लेकर चंद ने 100 मीटर और 200 मीटर की महिलाओं की रेस में रजत पदक जीता.

सोशल मीडिया पर दुति चंद के खुद को समलैंगिक मानने की बात का काफी स्वागत हुआ है. यहां तो कई लोग उसे बहादुर बता रहे हैं लेकिन असल जीवन में अपने परिवार और जानने वालों के बर्ताव को लेकर भारत की नई उड़न परी दुति चंद चिंतित हैं. 2018 में भारत में औपनिवेशिक काल से समलैंगिकता पर चले आ रहे प्रतिबंध को हटा दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे भारत के संविधान के विरुद्ध बताया था. सन 1861 के इस कानून की वजह से देश के समलैंगिक समुदाय के लोगों को काफी प्रताड़ना झेलनी पड़ी है. 

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आरपी/एनआर (एएफपी)

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