मक्का की घड़ी से इस्लामी टाइमजोन !
११ अगस्त २०१०चारों तरफ से देखी जा सकने वाली यह विशालकाय घड़ी मस्जिद अल हरम के ठीक सामने होगी. मस्जिद अल हरम में ही इस्लाम धर्म की सबसे पवित्र इमारत काबा स्थित है. घड़ी को अबरज अल बैत इमारत की एक मीनार पर लगाया जा रहा है. सऊदी अरब की समाचार एजेंसी एसपीए के मुताबिक रमजान के दौरान तीन महीने तक इसे प्रयोग के तौर पर शुरू किया जा रहा है. अगले साल 2011 में इसे पूरी तरह से चालू कर दिया जाएगा.
दुनिया की इस सबसे बड़ी घड़ी में चारों तरफ 46 मीटर की भुजा वाला वर्ग होगा और यह मस्जिद अल हरम से करीब 400 मीटर की ऊंचाई पर होगा. घड़ी के चारों तरफ सोने की नक्काशी भी होगी. एसपीए के मुताबिक घड़ी के लगने के बाद मीनार की ऊंचाई 601 मीटर हो जाएगी और यह दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची मीनार बन जाएगी. घड़ी के ऊपर सुनहरे रंग में शानदार चांद लगाया जाएगा.
यह मीनार ताइवान की मीनार से कहीं ऊंची हो जाएगी लेकिन दुबई की बुर्ज खलीफा इमारत से फिर भी कम होगी. बुर्ज खलीफा की मीनार 828 मीटर ऊंची है. सऊदी समाचार एजेंसी का कहना है कि लगभग 250 मुस्लिम पेशेवर घड़ी को फिनिशिंग टच दे रहे हैं. मक्का शहर में सिर्फ मुस्लिम धर्म के लोग ही जा सकते हैं.
मक्का की घड़ी का व्यास लंदन के मशहूर बिग बेन से करीब छह गुना ज्यादा होगा और इसके ठीक ऊपर अरबी भाषा में अल्लाह लिखा होगा. भले ही यकीन न हो लेकिन इसे चमकाने के लिए 20 लाख बल्बों का इस्तेमाल होगा. घड़ी के ऊपर सफेद और हरे रंग की 21,000 लाइटें लगेंगी, जो 30 किलोमीटर की दूरी से देखी जा सकेंगी. इसमें पांचों वक्त के नमाज का समय भी बताया जाएगा. इस्लाम धर्म से जुड़ी खास तारीखों पर इस घड़ी के पास से रोशनी के 16 स्तंभ ऊपर आकाश की तरफ उठेंगे और उनकी रोशनी लगभग 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकेगी.
मक्का में रहने वाले हानी अल वजीह का कहना है, "हमें इस घड़ी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिली है. फिर भी हर कोई इसे देखना चाहता है. हम मक्का में रहते हुए दुनिया को एक नया टाइमजोन देना चाहते हैं. सिर्फ इस घड़ी को दिखाना नहीं चाहते."
अबरज अल बैत इमारत को बना रही कंपनी इस घड़ी को एक रहस्य बना कर रखना चाहती है लेकिन निर्माण कार्य के दौरान अब इसे आराम से देखा जा सकता है. घड़ी के साथ एक दूसरे को काटती तलवारें और हरे रंग का खजूर का दरख्त भी बनाया गया है, जो सऊदी अरब का राष्ट्रीय निशान है.
इस इमारत में चल रहे रॉयल मक्का क्लॉक टावर होटल के मैनेजर मोहम्मद अल अरकूबी ने बताया कि घड़ी के दोनों कांटों को सही जगह पर लगाना एक बेहद मुश्किल और बड़ा काम था. इस काम को दुबई में स्थित जर्मन कंपनी प्रीमियर कॉम्पोजिट टेक्नोलॉजीज कर रही है.
कुछ मुस्लिम उलेमाओं का कहना है कि इस घड़ी के लगने के साथ ही 126 साल पुराने ग्रीनिच मीन टाइम (जीएमटी) को मक्का मीन टाइम से बदला जा सकेगा. करीब दो साल पहले 2008 में मुस्लिम उलेमाओं ने दोहा में एक कांफ्रेंस के दौरान दावा किया था कि भौगोलिक रूप से मक्का ही विश्व के केंद्र में है और समय यहीं से निर्धारित किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि 1884 में पश्चिमी दुनिया ने जीएमटी की शुरुआत कर दी.
मुसलमानों की सबसे पवित्र समझी जाने वाली मस्जिद अल हरम के दक्षिणी गेट के सामने अबरज अल बैत इमारत तैयार हो रही है और इसे सिर्फ विशाल कहने से काम नहीं चलेगा. सरकारी नियंत्रण वाली राशि से तैयार हो रही इमारत में सात आलीशान मीनारें हैं. इनमें से छह की ऊंचाई 42 और 48 मीटर से ज्यादा है. बीचों बीच घड़ी वाली मीनार है, जो बाकी मीनारों से दोगुनी ऊंची है.
इस इमारत में होटल के 3,000 कमरे और अपार्टमेंट हैं. पांच मंजिला शॉपिंग मॉल है. नमाज पढ़ने के लिए एक विशालकाय जगह रखी गई है और कांफ्रेंस के लिए भी जगह बनाई गई है. इमारत बनाने में लगे सूत्रों के अनुसार पूरी इमारत करीब 15 लाख वर्ग मीटर पर बनी है. इस तरह यह दुबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 के साथ दुनिया की सबसे बड़ी इमारत बन जाएगी.
इमारत में दुनिया के तीन श्रेष्ठ होटल होंगे, फेयरमांट, रैफेल्स और स्विस होटल. इसमें सैकड़ों आलीशान अपार्टमेंट होंगे. ज्यादातर घरों से ग्रैंड मस्जिद को देखा जा सकेगा. सऊदी अरब सरकार की योजना है कि शहर को एक करोड़ हज यात्रियों के लायक बनाया जा सके. अभी इस शहर की क्षमता हर साल 30 लाख हज यात्रियों की है. इस्लाम धर्म के मानने वाले जिन्दगी में कम से कम एक बार हज यात्रा के लिए मक्का जाना चाहते हैं.
हज यात्रा के दौरान इस इमारत में करीब 65,000 लोग एक साथ रह सकेंगे. जाहिर है, विशालकाय घड़ी ही इस इमारत की जान होगी. यहां आने वाले पर्यटकों को ऐसी बालकनी में ले जाया जाएगा, जहां से घड़ी को निहारा जा सके. यहां एक तारामंडल और इस्लामी म्यूजियम भी बनाया जाएगा.
इस शहर में रहने वाले आतिफ फेमबान ने कहा, "इस शहर में दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी का बनना किसी सपने के सच होने जैसा है. पहले हम दुनिया की बड़ी घड़ियों के बारे में सुना करते थे. लेकिन अब हम अपनी इस घड़ी पर फख्र कर सकते हैं."
रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल
संपादनः ए कुमार