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यूरोपीय सांसदों को कश्मीर में क्या दिखाएगा भारत

२८ अक्टूबर २०१९

मंगलवार को 27 यूरोपीय सांसद कश्मीर का दौरा करेंगे. जम्मू कश्मीर का विशेषाधिकार खत्म होने के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल का यह पहला दौरा होगा. भारत के विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना की है.

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Indien Treffen Premierminister Narendra Modi mit EU Delegation in Neu-Delhi
तस्वीर: Reuters/Handout/India's Press Information Bureau

दो महीने पहले जम्मू कश्मीर का विशेषाधिकार खत्म होने के एलान करने के बाद राज्य में कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं. खासतौर से कश्मीर में अब धीरे धीरे इन्हें हटाया जा रहा है. कई देशों ने कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई है और भारत सरकार से मांग की है कि वहां सामान्य स्थिति बहाल करने में तेजी लाई जाए. 

इस बीच सैकड़ों लोगों को हिरासत से आजाद किया गया है, फोन लाइन चालू कर दी गई है और पोस्टपेड मोबाइल सेवा भी, लेकिन इंटरनेट पर अब भी रोक है. सरकार को आशंका है कि इंटरनेट का इस्तेमाल सरकार के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शनों को आयोजित करने के लिए किया जा सकता है.

इन्हीं हालात में यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को दिल्ली से कश्मीर पहुंच रहा है. इसमें 11 देशों के 27 सांसद हैं. ये लोग सरकारी अधिकारियों से मिलेंगे और वहां के हालात का जायजा लेंगे. कश्मीर के लिए रवाना होने से एक दिन पहले इन सांसदों ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल से मुलाकात की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय सांसदों से मुलाकात की तस्वीर ट्वीट की है और कहा है कि उनका दौरा "प्रशासन की विकास प्राथमिकताओं के बारे में स्पष्ट नजरिया" पेश करेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा, "उनका जम्मू कश्मीर दौरे से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के बारे में प्रतिनिधिमंडल की समझ बेहतर होनी चाहिए."

एक भारतीय अधिकारी ने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ के सांसदों का दौरा दूसरे लोगों के लिए भी कश्मीर के दरवाजे खोलेगा. इस बीच कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इसे "भारतीय संसद का अपमान" कहा है.

वहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती का कहना है कि जब यूरोपीय सांसदों को कश्मीर आने और यहां की स्थिति का जायजा लेने की अनुमति है तो हैरानी है कि अमेरिकी सांसदों को इससे क्यों दूर रखा गया है. महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा है, "उम्मीद है कि उन्हें लोगों, स्थानीय मीडिया, डॉक्टरों और नागरिक समाज के लोगों से मिलने का मौका मिलेगा. कश्मीर और बाकी दुनिया के बीच बनी लोहे की दीवार हटनी चाहिए."

भारतीय अधिकारियों ने बताया कि यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल भारतीय अधिकारियों और स्थानीय लोगों से मुलाकात कर वहां के जमीनी हालात का जायजा लेगा. इसी महीने कुछ अमेरिकी सांसदों ने राजनयिकों और विदेशी मीडिया के कश्मीर जाने में असहजता को लेकर चिंता जताई थी.

कश्मीर में भारत सरकार स्थिति के सामान्य होने की तरफ बढ़ने की बात कह रही है. हालांकि वहां सड़कों पर अब भी चहल पहल नहीं दिखाई दे रही है. दुकानें सुबह और शाम को थोड़ी देर के लिए खुलती हैं और बाकी समय सन्नाटा पसरा रहता है. कुछ इलाकों में स्कूल खोले गए हैं लेकिन वहां छात्रों की संख्या नाम मात्र की ही है. इस बीच पिछले हफ्ते स्थानीय निकायों के भी चुनाव करा लिए गए. अलगाववादियों ने इन चुनावों को जहां महज खानापूर्ति कहा. वहीं भारत सरकार का दावा है कि इससे विकास के कामों में तेजी आएगी और भ्रष्ट नेताओं को इस प्रक्रिया से दूर रखा जा सकेगा.

एनआर/एके(रॉयटर्स)

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