राफाल समझौते में अभी तक कंपनी ने नहीं दी तकनीक
२४ सितम्बर २०२०सीएजी का बयान सरकार की ऑफसेट नीति के बारे में था, जिसमें दास्सो का उदाहरण देते हुए कहा गया कि ऑफसेट नीति की कमजोरी की वजह से अक्सर विदेशी विक्रेता शुरू में तो कई वादे कर देते हैं, लेकिन बाद में उन वादों को पूरा नहीं करते. सीएजी के अनुसार, "36 मध्यम बहु भूमिका वाले लड़ाकू विमान खरीदने के ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट में विक्रेता दास्सो एविएशन और एमबीडीए से सितंबर 2015 में ही प्रस्ताव दिया था कि वो 30 प्रतिशत ऑफसेट की शर्तों को डीआरडीओ को उच्च तकनीक दे कर पूरा करेंगे."
बयान में आगे कहा गया, "डीआरडीओ चाहती थी हल्के लड़ाकू विमान के लिए कावेरी नामक इंजन को भारत में ही बनाने के लिए तकनीकी सहायता मिल जाती. विक्रेता ने आज तक इस तकनीक के हस्तांतरण की पुष्टि नहीं की है." ये बयान सीएजी ने संसद में उसकी कई रिपोर्टें प्रस्तुत किए जाने के बाद दिया. बयान में उस 50 प्रतिशत ऑफसेट शर्त का कोई जिक्र नहीं है जिसे लेकर विपक्ष ने राफाल समझौते में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.
बयान में सीएजी ने आगे कहा है कि 2005 से मार्च 2018 तक विदेशी विक्रेताओं से 66,427 करोड़ रुपयों के 46 ऑफसेट कॉन्ट्रैक्टों पर हस्ताक्षर किए गए थे. इनके तहत दिसंबर 2018 तक विक्रेताओं को 19,223 करोड़ रुपयों के मूल्य के ऑफसेट उपलब्ध कराने थे, लेकिन उपलब्ध हुए सिर्फ 11,396 करोड़ रुपयों के मूल्य के ऑफसेट. यह वादा की हुई राशि का सिर्फ लगभग 59 प्रतिशत के बराबर है. इनमें से भी सिर्फ 48 प्रतिशत, यानी 5457 करोड़ रुपयों के मूल्य के, दावों को रक्षा मंत्रालय ने स्वीकार किया.
भारत ने यह ऑफसेट नीति 2005 में लागू की थी, जिसके तहत आयात के जरिए हर 300 करोड़ रुपयों से ज्यादा की खरीद पर विदेशी विक्रेता खरीद के मूल्य का 30 प्रतिशत भारत के रक्षा क्षेत्र या ऐरोस्पेस में लगाएगा. यह शर्त कई तरीकों से पूरी की जा सकती है, जिनमें से तकनीक का हस्तांतरण भी एक रास्ता है. लेकिन सीएजी के अनुसार भारत को तकनीक के हस्तांतरण में विफलता ही हाथ लगी है.
सीएजी के मुताबिक, "विक्रेताओं द्वारा निवेश का 90 प्रतिशत भारतीय कंपनियों से सीधे खरीद में किया गया है...बल्कि एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है जिसमें विदेशी विक्रेता ने भारतीय कंपनी को उच्च तकनीक दी हो." सीएजी इस निष्कर्ष पर भी पहुंचा है कि यह नीति की ही गड़बड़ है क्योंकि इसे लागू करने के एक दशक बाद इसके लक्ष्यों को अभी भी पाया नहीं जा सका है.
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