लीबियाः क्या कर सकता है नो फ्लाई जोन
१७ मार्च २०११लीबिया को लेकर नो फ्लाई जोन की चर्चा खूब हो रही है. लंबी खींचतान के बाद संयुक्त राष्ट्र में इस बारे में एक प्रस्ताव पेश किया गया है जिस पर गुरुवार को मतदान होना है. डालते हैं नजर इससे जुड़े अहम सवालों परः
कब शुरू होगी कार्रवाई?
अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद नो फ्लाई जोन लागू करने का फैसला करती है तो इसे तुरंत लागू किया जा सकता है. लेकिन यह साफ नहीं है कि इस पर अमल के लिए जरूरी सैन्य अभियान की व्यवस्था करने में कितना समय लगेगा. लीबिया के शासक कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के वफादार सैनिक विद्रोहियों को लगातार पीछे धकेल रहे हैं और अब उनका निशाना देश के पूर्व हिस्से में विद्रोहियों का अहम गढ़ बेनगाजी शहर है. जानकारों का मानना है कि अगर विद्रोहियों को विश्व समुदाय की मदद नहीं मिली तो वे कुछ नहीं कर पाएंगे.
कौन कौन होगा शामिल?
खाड़ी और अरब लीग के देशों के पास युद्धपोत और लड़ाकू विमान हैं लेकिन वे अपने क्षेत्र से बाहर उन्हें तैनात करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. दूसरे, खाड़ी देश बहरीन में जारी संकट पर भी वे ध्यान दे रहे हैं. कई देशों ने वहां हो रहे विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए अपनी सेनाएं भेजी हैं.
अरब लीग ने घोषणा की है कि वह नो फ्लाई जोन का समर्थन करती है. इसके तहत नाटो लीबिया वायुक्षेत्र का दरोगा बन सकता है. लेकिन इसके लिए नाटो को इटली के वायुसैनिक ठिकानों का इस्तेमाल करना होगा. अगर अमेरिका नो फ्लाई जोन को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेता है तो संभवतः ब्रिटेन और फ्रांस के पास सीमित नो फ्लाई जोन को लागू करने या लीबिया को नौसैनिक रूप से अलग थलग करने के लिए सैन्य क्षमताएं हैं.
लीबिया का क्षेत्रफल बोस्निया से 35 गुना ज्यादा है. 1990 के दशक में अमेरिका ने बोस्निया में नो फ्लाई जोन लागू किया था. वैसे नो फ्लाई जोन विद्रोहियों के गढ़ बेनगाजी के आसपास लगाया जा सकता है जिसके लिए कम सैन्य क्षमता से भी काम चल जाएगा.
क्या गद्दाफी को रोक पाएगा नो फ्लाई जोन?
कम ही लोगों को विश्वास है कि नो फ्लाई जोन जमीन पर चल रही लड़ाई में निर्णायक साबित होगा. सरकारी फौज मुख्य तौर पर तोपों के साथ कार्रवाई कर रही है. साथ ही जमीनी फौज भी विद्रोहियों को पीछे धकेल रही है. लीबिया के आसमान में नाटो के विमानों की उड़ान जमीन पर आम लोगों की हत्याओं को रोकने में असरदार साबित नहीं होगी.
गद्दाफी के पास क्या है?
अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जेम्स क्लेपर ने पिछले हफ्ते कांग्रेस की सुनवाई में बताया कि गद्दाफी के पास लगभग 80 विमान हैं. इनमें कई हेलीकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और लड़ाकू विमान शामिल हैं. क्लैपर ने कहा कि लड़ाकू विमानों से गोलाबारी में मुश्किल पेश आ रही है क्योंकि वे कंप्यूटर की बजाय तस्वीरों के आधार पर कार्रवाई कर रहे हैं. इसलिए उनसे ज्यादा मौतें नहीं हो रही हैं.
लंदन के एक थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्ट्डीज का अनुमान है कि गद्दाफी के पास 40 फिक्स्ड विंग विमान हैं जिनमें से ज्यादातर यूरोपीय मानकों के हिसाब से पुराने पड़ चुके हैं.
क्या विदेशी ताकतों को लीबिया में लड़ना पड़ेगा?
इस सवाल पर मतभेद हैं. अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स का कहना है कि अमेरिकी विमानों की लीबिया पर गश्त से पहले यह जरूरी है. वहीं नो फ्लाई जोन के आलोचक कहते हैं कि यह युद्ध की कार्रवाई होगी. दूसरे पक्ष की राय है कि लीबिया की पुरानी पड़ चुकी सोवियत दौर की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के खिलाफ पहले हमलों की जरूरत नहीं होगी. वहीं क्लैपर की राय है कि मध्यपूर्व में लीबिया के पास दूसरा सबसे बड़ा रक्षा तंत्र है. वहां 31 जगहों से जमीन से हवा में मार करने वाले ठिकाने हैं. लीबिया के पास आसानी से जमीन से हवा में मार करने वाली बहुत सारी मिसाइलें हैं.
रिपोर्टः रॉयटर्स/ए कुमार
संपादनः वी कुमार