विदेश सचिव तीन यूरोपीय देशों की यात्रा पर
२९ अक्टूबर २०२०श्रृंगला के पेरिस पहुंचने पर फ्रांस में भारत के दूतावास ने ट्वीट कर कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य एक अहम् सामरिक साझेदार के साथ एक चुनौती भरे समय में रिश्तों को और गहरा करना है. यूरोप इस समय कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है. संक्रमण को और तेजी से फैलने से रोकने के लिए फ्रांस ने बुधवार को ही एक बार फिर तालाबंदी लागू कर दी.इन हालात के बीच श्रृंगला अगले दो दिन पेरिस में ही बिताएंगे और इस दौरान फ्रांस के उच्च अधिकारियों, थिंक टैंक के सदस्यों और पत्रकारों से मिलेंगे. फ्रांस का दौरा पूरा करने के बाद वो जर्मनी और यूके भी जाएंगे. तीन देशों की इस यात्रा के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है की श्रृंगला द्विपक्षीय रिश्तों की समीक्षा करेंगे, आपसी हित के विषयों पर चर्चा करेंगे और भारतीय दृष्टिकोण को साझा करेंगे.
मंत्रालय ने कहा कि तीनों देश सामरिक दृष्टि से भारत के साझेदार हैं और इनके साथ भारत की प्राथमिकताओं पर चर्चा होगी, जिनमें मजबूत बहुपक्षवाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में शुरू होने वाला भारत का कार्यकाल और एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता शामिल है.
उम्मीद की जा रही है कि इस यात्रा के दौरान विदेश सचिव कोरोना वायरस महामारी और तालाबंदी की वजह से कमजोर हुई भारत की अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए इन देशों को भारत में निवेश करने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे. यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. दोनों के बीच 2018-19 में 115.6 अरब डॉलर मूल्य का व्यापार हुआ था.
उत्पादों के अलावा भारत ईयू का चौथा सबसे बड़ा सेवा निर्यातक भी है और ईयू के सेवा निर्यातों का छठा सबसे बड़ा ठिकाना है. व्यापार के अलावा ईयू भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का भी सबसे बड़ा स्रोत है. अप्रैल 2000 और जून 2018 के बीच यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से भारत में 90.7 अरब डॉलर मूल्य का विदेशी निवेश आया, जो भारत में हुए कुल विदेशी निवेश के लगभग 24 प्रतिशत के बराबर है.
इस सहयोग को आगे ले जाने के लिए अगस्त में ही 15वीं भारत-ईयू समिट हुई थी. उम्मीद की जा रही है कि इस यात्रा के दौरान समिट में की गई बातचीत आगे बढ़ेगी. वरिष्ठ पत्रकार संदीप दीक्षित याद दिलाते हैं कि 2019 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्रालय की जो उपलब्धियां गिनाई थीं उनमें यूरोप के साथ नवीकृत रिश्ते भी शामिल थी और श्रृंगला की यात्रा भी इसी का हिस्सा है.
संदीप का मानना है कि मूलतः विदेश सचिव निवेश के लिए हितकर माहौल बनाने की कोशिशों पर चर्चा करेंगे क्योंकि इस समय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना ही सबसे बड़ी प्राथमिकता है. वो इस ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि यूरोपीय संसद में कश्मीर पर एक प्रस्ताव भी लंबित है और भारत चाहता है कि संघ उस प्रस्ताव को पारित ना करे और कश्मीर के मुद्दे पर भारत का रुख समझे.
वरिष्ठ पत्रकार नीलोवा रॉय चौधरी भी मानती हैं कि इस यात्रा का एजेंडा आर्थिक है. लेकिन उनका यह भी मानना है कि यूरोप मानवाधिकारों को अमेरिका से ज्यादा तरजीह देता है और ऐसे में कश्मीर पर लंबित प्रस्ताव को भी देखते हुए यह मुश्किल लगता है कि निवेश की बात कुछ आगे बढ़ पाएगी.
देखना होगा कि ऐसे में विदेश सचिव को आर्थिक सहयोग के मोर्चे कोई सफलता हाथ लगती है या नहीं. इसी बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल माक्रों के इस्लामिक अतिवाद के खिलाफ दिए गए बयान का समर्थन किया है और उन पर हो रहे हमलों की कड़ी आलोचना की है.
भारत ने उस हमले की भी निंदा की है जिसमें फ्रांस में एक टीचर का सिर काट दिया गया था. भारत ने कहा है कि आतंकवाद का कोई बचाव हो ही नहीं सकता.
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