"सिगरेट छोड़नी है, वजन घटाना है और खर्च कम करना है"
२ जनवरी २०११अमेरिका में जिन 44 प्रतिशत लोगों ने नए साल में नए संकल्पों से अपनी खराब आदतों को सुधारने का फैसला किया है उनमें 17 प्रतिशत लोग सिगरेट की लत से परेशान हैं तो 16 प्रतिशत को वजन कम करना है. वहीं 13 प्रतिशत लोग अपने खर्चों को कम करना चाहते हैं. यह बात मैरिस्ट कॉलेज इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक ओपेनियन के एक सर्वे में सामने आई है.
एमएसएन मनी की गणना के मुताबिक अगर 40 साल का कोई व्यक्ति सिगरेट छोड़ना चाहता है और उससे बचने वाले पैसे को अपने रिटायरमेंट फंड में डालता है तो वह जब 70 साल की उम्र में पहुंचेगा तो ढाई लाख डॉलर की बचत कर चुका होगा. वहीं अपना वजन घटा कर भी अमेरिकी लोग अच्छी खासी बचत कर सकते हैं.
इससे न सिर्फ उनकी, बल्कि उनके देश की अर्थव्यवस्था का भी भला हो सकता है. ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट की सितंबर में जारी रिपोर्ट कहती है कि स्वस्थ व्यस्कों की तुलना में मोटापे का शिकार लोगों का मेडिकल खर्च 14.7 करोड़ डॉलर ज्यादा है.
मोटापे की वजह से अमेरिका को उत्पादकता में गिरावट, अनुपस्थिति, अयोग्यता और वक्त से पहले मौतों के रूप में भी अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ती है. इससे ट्रांसपोर्ट पर आने वाली लागत भी कम होगी क्योंकि मोटे लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए ज्यादा तेल खर्च होता है.
अमेरिका में तीन में हर एक व्यक्ति मोटापे का शिकार है जबकि हर पांच बच्चों में से एक भी इस परेशानी से जूझ रहा है. बच्चों में मोटापे के चलते अमेरिकी अर्थव्यवस्था को हर साल इलाज की खातिर अरबों डॉलर गंवाने पड़ रहे हैं. इससे बच्चों की शिक्षा और उनके पूरे व्यक्तित्व पर भी असर पड़ता है.
अमेरिकी बाल रोग अकेडमी की तरफ से पांच साल या उससे ज्यादा उम्र के जिन 17 बच्चों के नए साल के रेज्योल्यूशन प्रकाशित किए गए हैं उनमें चार बच्चे अपनी खाने पीने की आदतों को सुधारना चाहते हैं. वैसे बच्चों में मोटापे की समस्या की तरफ उस वक्त भी सब का ध्यान गया जब प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने 2010 में एक खास मुहिम छेड़ी ताकि बच्चों में इस समस्या को लेकर जागरुकता फैलाई जाए.
मैरिस्ट का कहना है कि पिछले साल नए साल पर नया संकल्प लेने वाले 10 में सिर्फ छह अमेरिकी लोग भी उस पर अमल कर पाए. मैरिस्ट ने यह सर्वे दिसंबर में किया जिसमें 1,029 लोगों को शामिल किया.
वैसे इस साल कुछ लोगों ने खास रेज्योल्यूशन भी बनाए हैं. मसलन बेहतर इंसान बनना (10 प्रतिशत), अच्छी नौकरी हासिल करना (छह प्रतिशत), राजनीतिक रूप से सक्रिय होना (एक प्रतिशत) और भगवान के करीब होना (एक प्रतिशत).
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़