कृषि मंत्री ने किसानों को लिखा पत्र
१८ दिसम्बर २०२०खुले पत्र में कृषि मंत्री ने विवाद का केंद्र बने हुए तीनों नए कृषि कानूनों की आलोचना के सभी बिंदुओं को झूठा और भ्रामक बताया है और सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण देने की कोशिश की है. उनके अनुसार एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी, एपीएमसी मंडियां कायम रहेंगी क्योंकि वे इस कानून की परिधि से बाहर हैं और किसानों की जमीन सुरक्षित है क्योंकि एग्रीमेंट फसल के लिए होगा ना कि जमीन के लिए.
तोमर ने यह भी कहा कि कॉन्ट्रैक्टरों को किसान की जमीन हथियाने नहीं दिया जाएगा, किसानों को सही मूल्य मिलेगा क्योंकि एग्रीमेंट में जो भी मूल्य दर्ज होगा वही किसानों को मिलेगा, उस मूल्य का भुगतान भी तय समय सीमा के अंदर होगा और किसान किसी भी समाय बिना किसी जुर्माने के कॉन्ट्रैक्ट को खत्म भी कर सकते हैं. कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि इन कानूनों को लेकर देश में दो दशकों तक विचार-विमर्श हुआ है और उसके बाद ही इन्हें लागू किया गया है.
कृषि मंत्री की इस अपील को प्रधानमंत्री और कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी साझा किया. माना जा रहा है कि भाजपा अब इन्हीं बिंदुओं के साथ देश के अलग अलग कोनों में सरकार का संदेश ले जाने के प्रयास शुरू करेगी. हालांकि तोमर की अपील में आंदोलनकारियों की आलोचना भी थी. विपक्षी दलों और कुछ "संगठनों द्वारा रचे गए कुचक्र" के बारे में किसानों को सावधान करते हुए उन्होंने लिखा है, "इन लोगों ने किसानों को राजनीति की कठपुतली बनाने का प्रयास किया है."
नरेंद्र तोमर ने यह भी कहा कि सैनिकों कोआवश्यक रसद पहुंचने से रोकने वाले किसान नहीं हो सकते. इस बीच किसानों ने अपना कड़ा रुख जारी रखा हुआ है और वे अपने प्रदर्शन को नए नए आयाम भी दे रहे हैं. अब आंदोलन के स्थल से ही कुछ युवा किसान मिल कर आंदोलन को सोशल मीडिया पर ले आए हैं और ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसी सेवाओं पर 'किसान एकता मोर्चा' नाम से खाते खोल दिए हैं.
युवा किसानों का कहना है कि उन्हें इसकी जरूरत अपनी आवाज सोशल मीडिया पर पहुंचाने की अलावा इसलिए भी महसूस हुई क्योंकि सोशल मीडिया पर कई लोग उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश में दिन-रात लगे हुए हैं. पिछले कई दिनों से बीजेपी से जुड़े कई सोशल मीडिया खाते किसान आंदोलन के बारे में कई तरह की बातें कर रहे हैं. बीजेपी के आईटी विभाग के राष्ट्रीय इन-चार्ज अमित मालवीय ने कई ट्वीटों में प्रदर्शन कर रहे किसानों को लखपति और करोड़पति बताया है.
स्पष्ट है कि अभी तक सरकार और सत्तारुढ़ बीजेपी आंदोलन को शांत कराने के लिए कई मोर्चों पर एक साथ काम कर रही थी, लेकिन अब किसानों ने भी हर मोर्चे पर टक्कर देने की ठान ली है.
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