स्मार्टफोन पर टैक्स लगेगा
२३ मई २०१३परंपराओं और संस्कृति की रक्षा का काम आसान नहीं. उस पर बहुत खर्च होता है, लेकिन खर्च कौन उठाए? फ्रांस अपनी फिल्म और संगीत उद्योग के अलावा प्रकाशन उद्योग को भी भारी सब्सिडी देता रहा है. डिजीटल विकास के साथ पारंपरिक उद्योगों पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन कमाई का नया जरिया भी पैदा हो रहा है.
फ्रांस स्मार्ट फोन पर टैक्स लगाकर सब्सिडी के लिए धन कमाना चाहता है. यूरोपीय अमेरिकी मुक्त व्यापार वार्ताओं से पहले फ्रांस सांस्कृतिक इलाकों की रक्षा पर कोई रियायत देने को तैयार नहीं. वाणिज्य मंत्री निकोल ब्रिक कहती हैं कि किताबों, फिल्मों, संगीत और वीडियो गेमों को वार्ता में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
निकोल ब्रिक का कहना है कि जून के मध्य में यूरोपीय संघ का आयोग अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार की बातचीत शुरू करने का मतादेश लेगा. फ्रांस ने साफ कर दिया है कि इस बातचीत से संस्कृति को अलग रखा जाना चाहिए. फ्रांस इस मांग में अकेला नहीं है. फ्रांस की संस्कृति मंत्री औरेलिए फिविपेटी और जर्मनी, स्पेन और इटली जैसे कई देशों के उनके सहयोगियों ने यूरोपीय संघ के अध्यक्ष को पत्र लिखकर मीडिया क्षेत्र में अमेरिका के साथ होने वाली बातचीत से अलग रखने की मांग की है. लेकिन ब्रिटेन इसके खिलाफ है. प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का कहना है कि हर चीज पर बात होनी चाहिए.
संस्कृति के लिए स्मार्टफोन
फ्रांस की सरकार संस्कृति को प्रोत्साहन देना जारी रखना चाहती है. फ्रांस के पूर्व सोशलिस्ट राष्ट्रपति फ्रांसोआ मितरां के निर्देश पर तैयार एक रिपोर्ट में सांस्कृतिक अपवाद की प्रथा को आगे बढ़ाना तय किया गया है. कल्चरल एक्सेप्शन भाग दो के 486 पेज हैं. सवा दो किलो भारी यह रिपोर्ट में फ्रांस में रचनात्मक उद्योग की सुरक्षा के लिए 80 सुझाव दिए गए हैं. फिलिपेटी का कहना है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में इस उद्योग का तीन प्रतिशत हिस्सा है. इस रिपोर्ट में संस्कृति के लिए धन जुटाने के लिए स्मार्टफोन, टैबलेट कंप्यूटर, ई-रीडर और दूसरे इंटरनेट सक्षम मशीनों पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव है.
यदि देश की संसद स्मार्टफोन और अन्य यंत्रों पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव मान लेती है तो वह इस मशीनों की कीमत का एक प्रतिशत होगा. 2012 में फ्रांस में 8.6 अरब यूरो के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बेचे गए. अगर इन पर कर लगाया जाता है तो उससे सरकारी खजाने को 8.6 करोड़ यूरो की अतिरिक्त आय होगी.
संस्कृति की रक्षा
फ्रांस में सांस्कृतिक कर्मियों को सरकारी मदद तब से दी जा रही है जब चार्ल्स द गॉल देश के राष्ट्रपति (1959-69) थे. उनके बाद के सभी राष्ट्रपतियों ने, चाहे वे सोशलिस्ट पार्टी के रहे हों या कंजरवेटिव पार्टी के, इस मदद को जारी रखा. मसलन फ्रांस के सिनेमाघरों में बिकने वाले टिकट का 11 प्रतिशत फिल्म उद्योग की मदद पर खर्च होता है. यदि कोई टेलीविजन चैनल फिल्म दिखाता है तो उसे फिल्म उद्योग के समर्थन के लिए अलग से फीस देनी पड़ती है. फ्रांस में हर साल फिल्म उद्योग को सरकार से एक अरब यूरो की मदद मिलती है.
न्यूज चैनल बीएफएमटीवी के नए सर्वे के अनुसार फिल्मों को मिलने वाली सहायता का 40 प्रतिशत हिस्सा सरकारी खजाने से आता है, जबकि देश की सिर्फ 15 प्रतिशत फिल्मों से मुनाफा आता है. सुपर स्टार जेरा डिपार्डियू या दूसरे बड़े सितारों की फिल्में घाटे का सौदा होती हैं, इसलिए नहीं कि वे अच्छे अभिनेता नहीं हैं, बल्कि इसलिए कि वे महंगे हैं. लेकिन सरकारी मदद की वजह से ही फ्रांस में हर साल 250 स्थानीय फिल्में बनती हैं. तुलना के लिए ब्रिटेन में हर साल सिर्फ 135 फिल्में बनती हैं.
संस्कृति कारोबार नहीं
पड़ोसी देशों की तुलना में फ्रांस कम समय के लिए बेरोजगार होने वाले अपने कलाकारों को अच्छा भत्ता देता है. इनमें जूलिएट बिनोच जैसे विख्यात कलाकारों के अलावा दस्तावेजी फिल्मों पर काम करने वाले रिसर्चर भी होते हैं. इस तरह का भुगतान प्रोडक्शन कंपनियों के लिए एक तरह की सवसिडी है जिसकी वजह से वे अपने कर्मचारियों को कम मेहनताना देते हैं और सस्ते में फिल्म तैयार करते हैं. इन फिल्मों को टेलिविजन चैनलों को सस्ते में बेचा जा सकता है.
रेडियो स्टेशनों के लिए खास संख्या में फ्रांसीसी गीतों को बजाना अनिवार्य कर दिया गया है. मई में उद्योग मंत्री आरनौ डे मोंटेबोर्ग ने वीडियो पोर्टल डेलीमोशन कंपनी के बहुमत शेयरों को याहू को बेचने की इजाजत देने से मना कर दिया, हालांकि मंत्री ने उसे नई कंपनी बताया था.
टेलिविजन चैनल कनाल प्लस के पूर्व प्रमुख रिएर लेस्कूरे कहते हैं कि शुरू में एक्सेप्शन कुल्टुरेल का उद्देश्य सांस्कृतिक बहुलता की रक्षा था, "इस बीच डिजीटल यूज को देखते हुए सांस्कृतिक सबसिडी में संशोधन बहुत जरूरी है." फ्रैंकफुर्ट बुक फेयर के डाइरेक्टर फ्रांसीसी नजरिए के बारे में कहते हैं, "संस्कृति को बढ़ावा देने का मतलब है कि रचनात्मकता को बढ़ावा देना. संस्कृति कारोबार नहीं है."
रिपोर्ट: जॉन लॉरेनसन/एमजे
संपादन: ए जमाल