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कावेरी विवाद पर थमा बैंगलोर

६ अक्टूबर २०१२

शनिवार को बैंगलोर में जिंदगी एक तरह से ठहर गई. कावेरी का पानी तमिलनाडु को देने का विरोध करने कि लिए शहर पूरी तरह से बंद रहा, स्कूल कॉलेज और दफ्तर तो छोड़िये, फिल्मों की शूटिंग और केबल चैनल तक बंद रहे.

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कावेरी के पानी से प्यास बुझाने वाले बैंगलोर शनिवार को बिल्कुल सन्नाटे से भरा था. सारे राजनीतिक दलों के समर्थन वाले बंद को कारोबारी संगठनों, सिनेमा उद्योग और दूसरी संस्थाओं का भी पूरी तरह साथ मिला. दुकान, मॉल, बाजार सब कुछ बंद था. सिनेमा हटॉल, पेट्रोल पंप और सारे कारोबारी प्रतिष्ठानों में ताला लगा था यहां तक कि दवा की दुकानें भी बंद थीं. बंद का समर्थन करने के लिए सरकारी बसें भी नहीं चली और ना ही ऑटोरिक्शा. पत्थरबाजी की छोटी मोटी घटनाओं को छोड़ दें तो आमतौर पर बंद शांतिपूर्ण रहा. बैंगलोर पुलिस के एसीपी सुनील कुमार ने बताया, "स्थिति आमतौर पर शांतिपूर्ण रही है, सुबह कुछ बसों पर पत्थरबाजी की गई. कन्नड़ समर्थक कुछ संगठनों के 60 कार्यकर्ताओं को एहतियातन हिरसत में लिया गया है."

Symbolbild Cauvery Wasser Indien Auseinandersetzung
तस्वीर: AFP/Getty Images

केबल टीवी ऑपरेटरो ने बंद के समर्थन में सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक सारे मनोरंजन चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया. फिल्मों की शूटिंग भी रोकनी पड़ी क्योंकि फिल्मी सितारे अभिनय छोड़ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के लिए चले आए. कावेरी बेसिन के इलाके मैसूर, मांड्या, हसन और चामराजनगर में भी बंद का असर दिखा.

कन्नड़ संगठनों का कहना है कि वह यह संदेश देना चाहते हैं कि कर्नाटक पिछले 40 सालों में सबसे भयानक सूखे का सामना कर रहा है. यहां इतना पानी नहीं है कि इंसान और खेतों की प्यास बुझाई जा सके ऐसे में तमिलनाडु को पानी देने का फैसला पूरी तरह से "अनुचित और अन्यायपूर्ण" है. कावेरी नदी प्राधिकरण ने तमिलनाडु के लिए 15 अक्टूबर तक 9000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाले प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यह आदेश जारी किया है.

लोग केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार से भी गुस्सा हैं और उनका कहना है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट और कावेरी प्राधिकरण के सामने राज्य की हित की बात ठीक से उठाने में नाकाम रही. विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अनुरोध किया है कि कावेरी का पानी तमिलनाडु को देना बंद करें और कावेरी बेसिन की स्थिति जानने के लिए जानकारों की एक टीम तैनात करें. कृष्णा खुद भी कावेरी के इलाके मांड्या से आते हैं. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में एस एम कृष्णा ने कहा है कि कावेरी से सिंचाई होने वाले इलाकों और बेंगलोर की स्थिति बेहद गंभीर है. तमिलाडु को पानी देने से कावेरी का जल स्तर और नीचे चल जाएगा.

राज्य की राजनीति भी कावेरी के मुद्दे पर खूब उबल रही है. पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा विरोध करने के लिए दो दिन से धरने पर बैठे हुए हैं और कहा है कि धरना रविवार को भी जारी ररहेगा. कावेरी हितरक्षण समिति के प्रमुख जीमाडेगौड़ा तीन दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार से इस मुद्दे पर तुरंत इस्तीफा देने की मांग की है.

इन विरोध प्रदर्शनों के बीच ही केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए एक जानकारों के दल ने कावेरी बेसिन का मैसूर और हसन के इलाकों में दौरा किया है. यह दल सूखे की स्थिति और कावेरी में मौजूद पानी की मात्रा का जायजा ले रहा है.

एनआर/एएम (पीटीआई)

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