तालाबंदी के दो महीने पूरे हुए
२५ मई २०२०भारत में तालाबंदी लागू हुए ठीक दो महीने पूरे हो चुके हैं लेकिन इन दो महीनों में देश कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में कितना सफल हो पाया है, यह कहना मुश्किल है. 24-25 मार्च की मध्यरात्रि से तालाबंदी लागू हुई थी और 24 मार्च को देश में कोरोना से संक्रमण के लगभग 500 मामले थे. तब मरने वालों की संख्या नौ थी. सोमवार 25 मई को संक्रमण के कुल मामले 1,38,845 तक पहुंच गए और मरने वालों की संख्या 4021 तक.
केंद्र सरकार का दावा है कि अगर तालाबंदी नहीं लागू की जाती तो संक्रमण के कुल मामलों में 14 से 29 लाख अतिरिक्त मामलों की बढ़ोतरी हो जाती और 37,000 से 78,000 और ज्यादा जानें जातीं. यह आंकड़े अलग अलग भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अनुमान पर आधारित हैं. लेकिन ऐसे कई दूसरे आंकड़े भी सामने हैं जो भारत के हालात की एक ऐसी तस्वीर पेश करते हैं, जो इतनी आशाजनक नहीं है.
पिछले चार दिनों से लगातार संक्रमण के कुल मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बाद भारत अब कोविड-19 से प्रभावित देशों की सूची में 10वें स्थान पर आ गया है. कुल मामलों में भारत का नंबर अमेरिका, ब्राजील, रूस, ब्रिटेन, स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी और तुर्की के बाद है. लेकिन इनमें से कई देशों में अब रोज उतने नए मामले सामने नहीं आ रहे जितने भारत में आ रहे हैं.
इसके अलावा भारत में पॉजिटिविटी दर का बढ़ जाना भी चिंता एक एक कारण बना हुआ है. पॉजिटिविटी दर यानी जिन सैंपलों की जांच हुई उनमें से कितने प्रतिशत सैंपल कोविड पॉजिटिव पाए गए. आईसीएमआर के अनुसार अप्रैल की शुरुआत में पॉजिटिविटी दर 4.8 थी जो 16 अप्रैल से 28 अप्रैल के बीच में गिर कर 3.0 पर आ गई थी. लेकिन मई में यह दर फिर से बढ़ने लगी और अब यह दुगुने से भी ज्यादा बढ़ कर 7.0 पर आ गई है.
इसका मतलब है भारत में संक्रमण काबू में नहीं आ पा रहा है. अच्छी खबर यह है कि देश में रिकवरी दर यानी कोविड-19 से ठीक हो जाने वालों की दर अच्छी है और लगातार बढ़ रही है. देश में 57,721 कोविड-19 के मरीज ठीक हो चुके हैं, जिनकी वजह से रिकवरी दर 41 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गई है. मई की शुरुआत में रिकवरी दर लगभग 26 प्रतिशत थी, अप्रैल में लगभग 11 प्रतिशत और मार्च में लगभग सात प्रतिशत.
राज्यों में अभी भी सबसे बुरा हाल महाराष्ट्र का है जहां कुल मामलों की संख्या 50,000 पार कर गई है और मरने वालों की संख्या 1,635 हो गई है. तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान अन्य सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं. केंद्र सरकार के अनुसार इन सात राज्यों के 11 म्युनिसिपल इलाकों में ही पूरे देश के कुल संक्रमण के मामलों में से 70 प्रतिशत मामले सिमटे हुए हैं और अगले दो महीनों में यही इलाके महामारी से जंग के केंद्र रहेंगे.
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