वायु सेना में राफाल शामिल
१० सितम्बर २०२०पहले 10 विमानों की खेप भारत को दे दी जा चुकी है. इनमें से पांच अभी भी फ्रांस में ही हैं जहां इन पर भारतीय वायु सेना के पायलटों का प्रशिक्षण चल रहा है. भारत लाए गए बाकी पांच राफाल गुरुवार को वायु सेना में शामिल हो गए. फ्रांसीसी कंपनी दासो एविएशन द्वारा निर्मित राफाल जैसे लड़ाकू विमान पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय में भारत ने नहीं खरीदे थे. ये वायु सेना के 17 स्क्वाड्रन "गोल्डन एरोज" का हिस्सा बनेंगे.
वायु सेना में ताजा शामिल होने वाले विमानों को वॉटर कैनन सैल्यूट दिया जाता है. राफाल को भी अंबाला स्थित सैन्य हवाई अड्डे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और रक्षा सचिव अजय कुमार की मौजूदगी में वॉटर कैनन सैल्यूट दिया गया.
कार्यक्रम में सर्व धर्म पूजा भी हुई और तेजस, राफाल और सारंग एरोबेटिक टीम का प्रदर्शन भी हुआ. दासो के मुताबिक राफाल एयर डिफेंस, करीब से एयर सपोर्ट, गहरी स्ट्राइक, जानकारी लेना, पानी के जहाजों पर हमला और परमाणु डेटरेंस जैसी हर तरह की हवाई भूमिका निभा सकता है. ये भारतीय वायु सेना का अब तक का सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान है. जानकारों के अनुसार अभी तक यह संज्ञा एसयू-30एमकेआई को दी जाती थी.
एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा था कि राफाल भारतीय वायु सेना के लिए एक "गेम चेंजर" होगा, लेकिन कई जानकारों का कहना है कि बीते कुछ दशकों में आधुनिकीकरण की रेस में भारतीय वायु सेना काफी पिछड़ चुकी है और इस स्थिति में बड़ा सुधार लाने का काम अकेले राफाल नहीं कर पाएगा. वायु सेना के पास 42 लड़ाकू स्क्वाड्रन होने चाहिए, लेकिन हैं सिर्फ 31.
राफाल समझौता भी कई विवादों में घिरा रहा है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कई बार आरोप लगाया है कि समझौते में भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने सरकार से कई बार पूछा है कि जब यूपीए सरकार 126 राफाल खरीदना चाह रही थी तो एनडीए ने सिर्फ 36 क्यों खरीदे, और उसके बावजूद भी एक एक विमान को पहले के दाम 526 करोड़ की जगह 1670 करोड़ के दाम पर क्यों लिया? समझौते की जांच का आदेश देने की सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई थी, लेकिन कोर्ट ने दिसंबर 2018 में ही इस अपील को खारिज कर दिया था.
राफाल को वायु सेना में ऐसे समय में शामिल किया जा रहा है जब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इतना तनाव है जितना पिछले 45 सालों में नहीं देखा गया. लद्दाख के कई इलाकों में दोनों सेनाओं ने भारी संख्या में अपने सैनिक और हथियार एक दूसरे के सामने तैनात कर रखे हैं. 45 सालों में पहली बार इलाके में गोलीबारी भी हुई है. कई जानकारों का मानना है कि चीनी सेना कई स्थानों पर रेखा पार कर भारत के इलाके में भी घुस आई है और कब्जा जमा लिया है, लेकिन भारत सरकार इस बात से इनकार कर रही है.
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