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कानून और न्याय

यूएपीए: "नौ साल हवा में"

चारु कार्तिकेय
१७ जून २०२१

यूएपीए के तहत लगे आरोप में नौ साल जेल में बिताने के बाद मोहम्मद इलियास और मोहम्मद इरफान को एक विशेष अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि दोनों के खिलाफ कोई सबूत नहीं है.

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Indien Tihar Gefängnis in New Delhi
तस्वीर: ROBERTO SCHMIDT/AFP/GettyImages

33 साल के मोहम्मद इरफान और 38 साल के मोहम्मद इलियास को महाराष्ट्र पुलिस के आतंक विरोधी दस्ते (एटीएस) ने अगस्त 2012 में गिरफ्तार किया था. उनके अलावा दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया था. पांचों के खिलाफ आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा से संबंध होने के आरोप लगाए गए थे. चूंकि मामला हथियार बरामद होने और राजनेताओं, पुलिस अफसरों और पत्रकारों की हत्या करने की योजना बनाने की एक साजिश का था, 2013 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने जांच अपने हाथों में ले ली थी.

लेकिन एनआईए भी मोहम्मद इलियास और मोहम्मद इरफान के खिलाफ ऐसे सबूत नहीं जुटा पाई जिनसे अदालत उन पर लगे आरोपों पर भरोसा कर सके. बरी होने के बाद दोनों नांदेड़ स्थित अपने अपने घर चले गए हैं, लेकिन इस मामले ने एक बार फिर गलत आरोपों में गिरफ्तार किए गए लोगों की समस्याओं पर चर्चा शुरू कर दी है. गिरफ्तार किए जाने से पहले, इलियास का नांदेड़ में ही फलों का व्यापार था और इरफान की इन्वर्टर की बैटरियों की एक दुकान थी.

दोनों ने इन नौ सालों में जमानत की कई अर्जियां डाली थीं जिनमें उन्होंने बार बार कहा था कि एटीएस और एनआईए दोनों को ही उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला. इरफान को 2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए थे लेकिन वो सिर्फ चार महीने जमानत पर जेल के बाहर रह पाए. एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में उन्हें फिर से गिरफ्तार करने की अर्जी दी और अदालत ने अर्जी मंजूर कर ली.

Iran | National Investigation Agency NIA
नौ साल इरफान और इलियास को जेल में रखने के बाद भी एनआईए उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं ला सकीतस्वीर: IANS

क्या था मामला

महाराष्ट्र एटीएस ने दावा किया था कि उसके एक अफसर को जानकारी मिली थी कि 30 अगस्त 2012 को चार लोग हथियारों के साथ नांदेड़ की तरफ जा रहे थे. एटीएस की अलग अलग अलग टीमों ने छापे मारे और इरफान और इलियास के अलावा मोहम्मद मुजम्मिल और मोहम्मद सादिक को भी गिरफ्तार किया. बाद में मामले की और जांच करने के बाद एक और व्यक्ति मोहम्मद अकरम को भी गिरफ्तार किया गया.

एटीएस के दावों के मुताबिक सादिक और मुजम्मिल दोनों के पास से एक-एक रिवॉल्वर, कुछ गोलियां और कुछ कारतूस पाए गए. इरफान और इलियास के पास से कोई भी हथियार बरामद नहीं हुआ. बाद में और जांच करने के बाद एनआईए ने अकरम को लश्कर का सदस्य और पूरी योजना बनाने वाला व्यक्ति बताया. इरफान और इलियास को बरी करने के साथ साथ अदालत ने इन तीनों को दोषी पाया है और 10 साल जेल की सजा सुनाई है. जो नौ साल वो जेल में बिता चुके हैं, उन्हें उनकी सजा में से घटा दिया जाएगा.

नौ सालों का हिसाब

नांदेड़ स्थित अपने अपने घर जाने से पहले इरफान ने एक अखबार के रिपोर्टर के साथ उनके खोए हुए नौ सालों का दुख साझा किया. इरफान ने कहा, "बस, नौ साल जो गए, सब हवा में." उनके 62 साल के पिता नांदेड़ जिला परिषद में ड्राइवर की नौकरी करते थे और उन्हें हर बार मामले की सुनवाई के लिए मुंबई जाना पड़ता था. इस साल की शुरुआत में उन्हें और इरफान की मां दोनों कोविड पॉजिटिव पाए गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती भी कराना पड़ा था.

Indien Justiz l Gefängnis in Neu Delhi
यूएपीए के तहत दर्ज किए गए सभी मामलों में से सिर्फ 2.2 प्रतिशत मामलों में अपराध सिद्ध हो पायातस्वीर: Anindito Mukherjee/dpa/picture alliance

इलियास कहते हैं कि जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था तब उनकी सबसे छोटी संतान की उम्र बस दो सप्ताह की थी और पिछले नौ सालों में वो अपनी पत्नी और अपने तीनों बच्चों से सिर्फ एक बार मिल पाए हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें जेल हो जाने के बाद उनका व्यापार बंद हो गया क्योंकि मकान मालिक ने उनके परिवार को वो जगह खाली कर देने को कह दिया. वो ऊंची अदालतों में अपनी जमानत के लिए भी नहीं लड़ पाए क्योंकि उनके पास केस लड़ने के पैसे नहीं थे.

यूएपीए आतंकवाद की रोकथाम के लिए बना एक विशेष कानून है, लेकिन जानकार कहते हैं कि पुलिस और अन्य एजेंसियां इसका बेहद लापरवाही से इस्तेमाल करती हैं और इसका नतीजा कई बेगुनाहों को भुगतना पड़ता है. सरकार द्वारा संसद में दिए गए ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2016 से 2019 के बीच यूएपीए के तहत दर्ज किए गए सभी मामलों में से सिर्फ 2.2 प्रतिशत मामलों में अपराध सिद्ध हो पाया. इस अवधि में इसके तहत कुल 5,922 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से सिर्फ 132 लोगों का अपराध सिद्ध हो पाया.

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