महिला स्वयं सहायता समूहों के किस काम आएंगे ड्रोन
३० नवम्बर २०२३प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को इस योजना को मंजूरी दे दी. 1,261 करोड़ रुपयों की इस योजना के तहत तीन सालों में महिलाओं के 15,000 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को चुना जाएगा और उन्हें ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे.
यह एक केंद्रीय योजना होगी और इसके तहत ड्रोन की कीमत का 80 प्रतिशत खर्च और एक्सेसरी आदि का आठ लाख रुपयों तक का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.
यह जानकारी सरकार द्वारा जारी किए गए एक बयान में दी गई है. बयान में यह भी बताया गया कि बाकी कि धनराशि के लिए राष्ट्रीय कृषि फाइनेंसिंग सुविधा (एआईएफ) से लोन लिया जा सकता है. एआईएफ से इस लोन की ब्याज दर पर तीन प्रतिशत की छूट मिलेगी.
किस काम आएंगे ड्रोन
इन ड्रोनों का कृषि सेवाओं के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. एसएचजी उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन किसानों को किराए पर देंगे. उम्मीद की जा रही है कि इससे एसएचजी हर साल कम से कम एक लाख रुपये कमा सकेंगे. हर एसएचजी से एक सदस्य को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
इस सदस्य को कम से कम 18 साल की उम्र का और योग्य होना अनिवार्य होगा. प्रशिक्षण 15 दिनों का होगा, जिसमें पांच दिनों तक ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और 10 दिनों तक पोषक तत्त्व और कीटनाशक का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
इसके अलावा एक और सदस्य को ड्रोन टेक्नीशियन या सहायक बनने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके तहत बिजली के सामान की मरम्मत करना, उपकारों की फिटिंग करना और अन्य मशीनी काम सिखाया जाएगा.
ड्रोन के इस्तेमाल पर जोर
यह योजना ऐसे समय पर आई है जब कृषि में ड्रोनों के इस्तेमाल को बढ़ाया जा रहा है. कृषि क्षेत्र में ड्रोनों का इस्तेमाल फसलों का जायजा, मिट्टी का विश्लेषण, सिंचाई, उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव जैसे कई कामों के लिए किया जा सकता है.
लेकिन इस राह में कई रोड़े हैं और ड्रोनों की कीमत प्रमुख अड़चनों में से है. इस योजना की मदद से कम से कम इस मोर्चे पर तो लाभ मिल ही सकता है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय इस दिशा में पहले से कुछ और कदम भी उठा रहा है.
मंत्रालय के कृषि और किसान कल्याण विभाग के तहत काम करने वाले कई संस्थान 10 लाख तक की कीमत के ड्रोनों को खरीदने के लिए सहायता राशि दे रहे हैं. किसान संगठनों को खेतों में ड्रोन का प्रदर्शन करने के लिए ड्रोन की कीमत के 75 प्रतिशत के बराबर अनुदान भी दिया जाता है.