भारत में हो रहा घने जंगलों का नाश
१४ जनवरी २०२२केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय हर दो सालों पर स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (2021) जारी करता है. पिछली रिपोर्ट 2019 में जारी की गई थी. 2021 की रिपोर्ट 1987 से शुरू हुई इस श्रंखला की 17वीं रिपोर्ट है.
मोटे तौर पर ताजा रिपोर्ट में जंगलों के विकास की स्थिति सकारात्मक ही बताई गई है. 2019 से 2021 के बीच देश में जंगलों के इलाके में 1,540 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई. इसी के साथ देश में जंगलों का इलाका बढ़ कर 7,13,789 वर्ग किलोमीटर हो गया.
यह देश के कुल भौगोलिक इलाके का 21.71 प्रतिशत है, जो 2019 के प्रतिशत (21.67 प्रतिशत) के मुकाबले बस थोड़ी से वृद्धि है. पेड़ों के इलाके में 721 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है.
घने जंगलों का सवाल
खारे पानी में पाए जाने वाले मैंग्रोव 17 प्रतिशत बढ़े हैं और अब 4,992 वर्ग किलोमीटर में फैल गए हैं. जिन राज्यों में जंगलों में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है उनमें शामिल हैं तेलंगाना (3.07%), आंध्र प्रदेश (2.22%) और ओडिशा (1.04%).
11 राज्यों में जंगलों का इलाका कम हुआ है. पूर्वोत्तर में जंगलों को काफी नुकसान हुआ है और पांच राज्यों में जंगल काफी कम हो गए हैं. इनमें अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड शामिल हैं.
लेकिन रिपोर्ट को बारीकी से देखने पर पता चलता है कि जंगलों के इलाके में बढ़त घने नहीं बल्कि कम घने जंगलों में आ रही है. घने जंगल लगातार घटते जा रहे हैं, जो चिंता का विषय है.
इस समय जंगलों के कुल इलाके में घने जंगलों की हिस्सेदारी सिर्फ 3.04 प्रतिशत है, जबकि सबसे ज्यादा हिस्सेदारी (9.34 प्रतिशत) खुले जंगलों की है.
पिछले दो सालों में "बहुत घने जंगल" श्रेणी में सिर्फ 501 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है, जबकि खुले जंगल 2,612 वर्ग किलोमीटर बढ़े हैं. "सामान्य घने जंगल" श्रेणी में 1,582 वर्ग किलोमीटर जंगल नष्ट हुए हैं. जानकारों का कहना है कि यह दिखाता है कि देश में प्राकृतिक जंगल खुले जंगलों में बदलते जा रहे हैं जिसका मतलब कुल मिला कर जंगलों का घटना ही है.