गहरी नींद दिल के दौरे के बाद रिकवरी के लिए जरूरी: अध्ययन
५ नवम्बर २०२४नींद की कमी को एक समस्या माना जाता है, लेकिन वैज्ञानिक कहते हैं कि गहरी नींद कई वजहों से जरूरी है. मस्तिष्क गहरी नींद में ही कुछ खास काम कर पाता है.
नेचर पत्रिका मे छपी एक नई स्टडी में बताया गया है कि दिल के दौरे के बाद इम्यून कोशिकाएं मस्तिष्क में पहुंचकर गहरी नींद को बढ़ावा देती हैं. यह गहरी नींद दिल में सूजन को कम करती है और उसे तेजी से ठीक होने में मदद करती है. ‘नेचर' पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में चूहों और इंसानों दोनों पर रिसर्च की गई.
न्यूयॉर्क सिटी के आइकन स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर और कैमरन मैकअल्पाइन इस शोध के सह-लेखक हैं. उन्होंने नेचर पत्रिका को बताया कि दिल के दौरे के बाद पर्याप्त नींद और आराम सेहत के लिए बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा, "दिल के लंबे समय तक ठीक होने के लिए अच्छी नींद जरूरी है."
चूहों पर प्रयोग
इस अध्ययन में खासतौर पर धीमी लहरों वाली नींद (स्लो-वेव स्लीप) पर ध्यान दिया गया. यह नींद की गहरी अवस्था है जो स्वस्थ होने से जुड़ी होती है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन चूहों को दिल का दौरा पड़ा था, वे गहरी नींद में ज्यादा समय बिता रहे थे. शोध से पता चला कि दिल के दौरे के बाद इम्यून कोशिकाएं जिन्हें मोनोसाइट्स कहा जाता है, मस्तिष्क में पहुंचकर ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर (टीएनएफ) नाम का प्रोटीन छोड़ती हैं. यह प्रोटीन सूजन को नियंत्रित करने और नींद बढ़ाने में मदद करता है.
इस निष्कर्ष की पुष्टि के लिए वैज्ञानिकों ने इन कोशिकाओं को चूहों के मस्तिष्क में जमा होने से रोक दिया. तब उन्होंने पाया कि इन चूहों में दिल के दौरे के बाद गहरी नींद में कमी आई. मैकअल्पाइन ने कहा कि कोशिकाओं का जमाव रोकने के बाद "चूहों में दिल के दौरे के बाद गहरी नींद की बढ़ोतरी नहीं हुई," जो दिखाता है कि इम्यून कोशिकाएं दिल के दौरे के बाद नींद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
इंसानों पर प्रयोग
इंसानों पर हुए अध्ययन में भी यह देखा गया कि जिन लोगों ने दिल का दौरा पड़ने के बाद खराब नींद की शिकायत की थी, उन्हें भविष्य में हृदय संबंधी समस्याओं का ज्यादा जोखिम था. अध्ययनकर्ता इस बात की सिफारिश करते हैं कि डॉक्टरों को दिल के दौरे के बाद मरीजों को अच्छी नींद के महत्व के बारे में जानकारी देनी चाहिए.
इसके साथ ही, शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अस्पतालों में ऐसी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं कि मरीजों की नींद में बाधा ना पड़े. उन्होंने सुझाव दिया कि टेस्ट और प्रक्रियाएं दिन के समय में की जानी चाहिए.