उत्तर कोरिया का आईसीबीएम परीक्षण, जद में पूरा अमेरिका
१८ दिसम्बर २०२३उत्तर कोरिया का यह आईसीबीएम सॉलिड-फ्यूल आधारित है. तरल ईंधन के मुकाबले इसमें मिसाइल को ट्रांसपोर्ट करना आसान होता है और इसे ज्यादा रफ्तार से दागा जा सकता है. दक्षिण कोरिया और जापान के मुताबिक, यह मिसाइल 15,000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर सकता है. यानी, यह जापान और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में कहीं भी पहुंच सकता है.
18 दिसंबर को किए गए ताजा परीक्षण से पहले भी उत्तर कोरिया सॉलिड-फ्यूल आईसीबीएम टेस्ट कर चुका है. सॉलिड प्रोपेलेंट्स, ईंधन और ऑक्सिडाइजर का मिश्रण हैं.
सॉलिड-फ्यूल मिसाइलों को लॉन्च करना आसान होता है. इन्हें चलाना और ऑपरेट करना भी अपेक्षाकृत सुरक्षित है. लिक्विड-फ्यूल हथियारों की तुलना में इन्हें पकड़ना ज्यादा मुश्किल है.
1970 के दशक की शुरुआत में सोवियत संघ ने सॉलिड-फ्यूल आधारित अपने पहले आईसीबीएम आरटी-2 का परीक्षण किया था. इसके बाद फ्रांस ने एस3 विकसित किया, जिसे एसएसबीएस भी कहा जाता है. यह मध्यम दूरी का बलिस्टिक मिसाइल है.
चीन ने 1990 के दशक में सॉलिड-फ्यूल आईसीबीएम का परीक्षण शुरू किया. आईसीबीएम का न्यूनतम दायरा 5,500 किलोमीटर होता है. इसे मुख्यतौर पर न्यूक्लियर वॉरहेड्स के लिए डिजाइन किया जाता है.
उत्तर कोरिया ने सबसे पहले 4 जुलाई, 2017 कोह्वासोंग-14 मिसाइल के सफल परीक्षण का दावा किया था. उस मिसाइल की पहुंच अलास्का तक बताई गई थी.
इसके तीन साल बाद एक सैन्य परेड में उसने और भी बड़े और ज्यादा ताकतवर ह्वासोंग-17 का प्रदर्शन किया. फिर नवंबर 2022 में उसने "मॉनस्टर मिसाइल" का परीक्षण किया. जानकारों के मुताबिक, यह ह्वासोंग-17 का पहला सफल परीक्षण था. इस साल उत्तर कोरिया ने पहले सॉलिड-फ्यूल आधारित ह्वासोंग-18 का सफल परीक्षण किया है.
क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा
अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने इस मिसाइल परीक्षण की निंदा की है. साथ ही, यह भी रेखांकित किया कि यह परीक्षण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है और इसकी वजह से कोरियन प्रायद्वीप की सुरक्षा घटी है.
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा, "ये लॉन्च ना केवल सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का प्रत्यक्ष उल्लंघन है, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी खतरा है. हम इसकी सख्त निंदा करते हैं."
उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार परमाणु परीक्षण किया था. सुरक्षा परिषद अपने कई प्रस्तावों में उत्तर कोरिया से अपना परमाणु और बलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम रोकने की अपील कर चुका है.
बीजिंग में मौजूद है उत्तर कोरियाई प्रतिनिधिमंडल
क्षेत्रीय शांति और स्थिरता से जुड़ी चिंताओं के बीच 18 दिसंबर को एक उत्तर कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. उत्तर कोरिया के विदेशी मामलों के उप-मंत्री पाक म्योंग हो इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, वांग यी ने उत्तर कोरियाई मंत्री को आश्वासन देते हुए कहा, "अस्थिर अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के बावजूद, चीन और उत्तर कोरिया ने हमेशा एक-दूसरे का दृढ़ता के साथ समर्थन किया है और एक-दूसरे पर भरोसा किया है. यह दोनों देशों के दोस्ताना द्विपक्षीय सहयोग के सामरिक महत्व को रेखांकित करता है."
चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के बीच "साझा चिंताओं" से जुड़े मसलों पर बातचीत हुई. ये मुद्दे क्या हैं, यह स्पष्ट नहीं किया गया.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने प्रेस वार्ता के दौरान मिसाइल लॉन्च पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, "प्रायद्वीप से जुड़ा मुद्दा जटिल और उलझा हुआ है."
उन्होंने यह भी कहा कि मसले का "सैन्य तरीके से निवारण और दबाव" तनाव को और बढ़ाएगा. वेनबिन ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि सभी संबंधित पक्ष राजनैतिक समझौते को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक कदम उठाएंगे और प्रायद्वीप में शांति और स्थिरता पर जोर देंगे."
इससे पहले बीते शनिवार को उत्तर कोरिया की सरकार समाचार एजेंसी केसीएनए ने बताया था कि पाक म्योंग हो के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल बीजिंग गया है और उनकी चीनी अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने पर बातचीत हुई है. हालिया महीनों में उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने चीन का दौरा किया है.
आधिकारिक तौर पर चीन, उत्तर कोरिया का अकेला सहयोगी है. दोनों के बीच 1961 में एक समझौता हुआ था, जिसमें किसी अन्य देश द्वारा हमले की स्थिति में एक-दूसरे की मदद के लिए सैन्य सहायता समेत सभी जरूरी कदम उठाने पर सहमति बनी थी.
एसएम/सीके (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)