व्हेल मछलियां सुलझा रही हैं रजोनिवृत्ति के राज
१४ मार्च २०२४रजोनिवृत्ति यानी माहवारी का बंद हो जाना एक अनूठी चीज है जो पृथ्वी पर मौजूद बहुत कम प्रजातियों में पाई जाती है. पृथ्वी पर पाए जाने वाले 6,000 से ज्यादा स्तनधारियों में से सिर्फ छह ऐसी प्रजातियां हैं जिनमें रजोनिवृत्ति होती है. इनमें एक तो इंसान हैं, और उसके बाद व्हेल मछिलयां हैं. व्हेल मछलियों में भी सभी प्रजातियों में नहीं बल्कि किलर व्हेल और चार अन्य प्रजातियों रजोनिवृत्ति से गुजरती हैं.
वैज्ञानिक इन व्हेल प्रजातियों पर अध्ययन कर रहे हैं ताकि रजोनिवृत्ति के रहस्यों को और तरतीबवार समझा जा सके. हाल ही में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि रजोनिवृत्ति क्यों शुरू हुई. वैज्ञानिकों ने चार व्हेल प्रजातियों की 32 मछलियों के पूरे जीवन का अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि जो पांच व्हेल प्रजातियां रजोनिवृत्ति से गुजरती हैं यानी किलर व्हेल, फॉल्स किलर व्हेल, बेलूगा व्हेल, नारवाल्स और पायलट व्हेल, वे अन्य प्रजातियों के मुकाबले लगभग चार दशक ज्यादा लंबा जीती हैं.
इनके जैसी अन्य दांत वाली प्रजातियां जैसे स्पर्म व्हेल और बालीन व्हेल में रजोनिवृत्ति नहीं होती. इंग्लैंड की एक्सटर यूनिवर्सिटी में प्राणी व्यवहार पढ़ाने वाले सैम एलिस, जो इस अध्ययन में मुख्य शोधकर्ता थे, कहते हैं, "शोध के निष्कर्ष हमें रजोनिवृत्ति के विकास के बारे में बहुत अनूठी जानकारी देते हैं. जिन व्हेल मछलियों में रजोनिवृत्ति होती है, उनका प्रजनन चक्र अन्य प्रजातियों जैसा ही है. लेकिन प्रजनन के बाद का जीवन अलग-अलग है.”
मांओं को लंबा जीवन
यह शोध पत्र नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इसके बारे में एलिस बताते हैं, "जीवन-विकास की प्रक्रिया में मादाओं को ज्यादा लंबा जीवन दिया गया है ताकि मांएं और दादियां अपने परिवारों को प्रजनन के बाद भी सहारा देती रहें. हमने ऐसा इंसानों में भी देखा है, जहां महिलाओं का प्रजनन चक्र मानव प्रजाति के सबसे करीबी प्राणियों जैसा ही होता है लेकिन उनका जीवन कहीं ज्यादा लंबा होता है.”
लंबा जीवन इन व्हेल प्रजातियों की मादाओं को अपने बच्चों का ध्यान रखने के लिए ज्यादा समय देता है और चूंकि उनका प्रजनन चक्र बंद हो जाता है, इसलिए वे अपनी बेटियों के साथ किसी तरह के मुकाबले में भी नहीं होतीं.
सहायक शोधकर्ता, वॉशिंगटन में सेंटर फॉर व्हेल रिसर्च के निदेशक डैरेन क्रॉफ्ट कहते हैं, "जब एक ही समूह में मां और बेटी दोनों एक वक्त पर प्रजनन करती हैं तो संसाधनों को लेकर विवाद की संभावना रहती है क्योंकि दोनों ही अपने बच्चों को प्राथमिकता देती हैं. ऐसा होना और बढ़ जाएगा अगर मादाएं लंबे समय तक बच्चे जनती रहें. प्रजनन बंद हो जाने से इस विवाद की संभावना कम हो जाती है.”
बुजुर्ग मादाओं का व्यवहार अलग
अमेरिका के पश्चिमी तट पर रहने वालीं किलर व्हेल्स के अध्ययन में पाया कि मादाएं 40 वर्ष की उम्र में प्रजनन बंद कर देती हैं लेकिन अक्सर 60 या 80 साल से ज्यादा जीती हैं. जबकि नर व्हेल 40 साल से पहले ही मर जाती हैं.
यह अध्ययन दिखाता है कि नानी व्हेल मछली अपनी बेटी और नाती-नातिनों को भोजन और सुरक्षा के रूप में लंबे समय तक सहारा देती हैं.
एलिस बताते हैं, "हमने पाया कि जिन बच्चों के पास प्रजनन चक्र से मुक्त हो चुकी नानी का सहारा होता है, उनके जिंदा रहने की संभावनाएं अन्यों के मुकाबले ज्यादा होती हैं. एक अन्य शोध बताता है कि जब संसाधन कम होते हैं, तब मादाएं ही समूह का नेतृत्व करती हैं, जो दिखाता है कि जीवन के बारे में ज्यादा जानकारी उन्हें संसाधनों की ओर नेतृत्व की क्षमता देती है.”
ये बुजुर्ग मादाएं मछलियां भी पकड़ती हैं और उन्हें आधा काटकर परिवार के अन्य सदस्यों में बांटती हैं. ऐसा व्यवहार युवा मछलियों में बहुत कम देखा जाता है जबकि नर मछलियों में तो लगभग नहीं होता.
शोधकर्ता कहते हैं कि रजोनिवृत्ति इंसानों और व्हेल मछलियों में अलग-अलग विकसित हुई है. इन दोनों का साझा पूर्वज नौ करोड़ साल पहले हुआ था.
क्रॉफ्ट कहते हैं, "जीवन के विकास के लिहाज से देखा जाए तो प्रजनन चक्र बंद हो जाने के बाद के जीवन को समझना मुश्किल है. अधिकतर प्रजातियों में विकास चक्र मादाओं को जीवन के अंत तक प्रजनन का गुण देता है ताकि वे अपने जीन आने वाली पीढ़ियों में पहुंचा सकें. तो इंसानों और दांतों वाली व्हेल मछलियों में रजोनिवृत्ति कैसे विकसित हुई? यह नया विश्लेषण बताता है कि रजोनिवृत्ति का विकास जीवन की अवधि बढ़ने के साथ हुआ है लेकिन प्रजनन की अवधि नहीं बढ़ी."
वीके/एए (रॉयटर्स)