रायनएयर के विमान को हवा में क्यों घेरा गया
२५ मई २०२१रविवार को बेलारूस में में रायनएयर के एक विमान को जबरन मिंस्क में उतारा गया. कहा गया कि विमान पर बम होने की सूचना है. जब यह स्पष्ट हो गया कि विमान को मिंस्क की ओर मोड़ा जा रहा है, तो एक यात्री की प्रतिक्रिया सबसे अलग थी. उस युवा यात्री ने घबराहट में अपना सिर पकड़ लिया था. जब विमान हवाई अड्डे पर उतरा तो सभी यात्री विमान से उतरे. उनका सामान जांचा गया. तब सुरक्षाकर्मी उस युवक के पास पहुंचे. वह शांत दिख रहा था पर अब भी कांप रहा था. जब उसे एक अनजान जगह पर ले जाया गया, तब उसने अपने इर्द-गिर्द खड़े लोगों को बताया कि मौत की सजा उसका इंतजार कर रही है.
यह युवक बेलारूस के ब्लॉगर और पत्रकार 26 साल के रमान प्रतोसेविच थे. उन्हें पता था कि यूं औचक उनके मिंस्क में होने का अर्थ उनकी गिरफ्तारी था क्योंकि वह देश की आतंकवादी सूची में हैं. इस सूची को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने तैयार किया है, जिसे आज भी केजीबी के नाम से जाना जाता है.
सुरक्षा के लिए खतरा
जब यह गिरफ्तारी हुई, तब प्रतोसेविच एथेंस से पोलैंड के विल्नियस जा रहे थे, जहां वह आजकल रहते हैं. बेलारूस के राष्ट्रपति आलेक्जांडर लुकाशेंको ने खुद आदेश दिया कि रायनएयर के नागरिक विमान को मिग-21 लड़ाकू विमान घेरकर मिंस्क में उतारे. एक बयान में रायनएयर ने कहा कि बेलारूस एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने विमान के चालक दल को सुरक्षा का खतरा होने की सूचना दी थी और मिंस्क के नजदीकी एयरपोर्ट पर उतरने को कहा था.
2019 में गिरफ्तारी के डर से प्रतोसेविच बेलारूस छोड़ पोलैंड चले गए थे. उन्होंने प्रभावशाली टेलीग्राम चैनलों नेक्स्टा और नेक्स्टा लाइव के मुख्य संपादक के तौर पर काम किया था. अगस्त में विवादित राष्ट्रपति चुनावों के बाद इंटरनेट बंद किए जाने के दौरान यही चैनल प्रदर्शनों के लिए सूचना का मुख्य स्रोत थे.पिछले साल नवंबर से ही प्रतोसेविच और उनके साथी नेक्स्टा के सह-संस्थापक स्टीपान पुतिला बेलारूस की आतंकवादी सूची में शामिल हैं. इस सूची में 700 से ज्यादा लोगों के नाम हैं जिन्हें सरकार आतंकवादी गतिविधियों में शामिल मानती है.
पोलैंड से नाराजगी
बेलारूस के ज्यादातर विपक्षी नेता देश छोड़ चुके हैं. नेक्स्टा ने सूचनाएं फैलाने, रैलियों का वक्त और जगह बताने और पुलिस की ज्यादतियों को उजागर करने आदि में अहम भूमिका निभाई है. लुकाशेंको 1994 से देश की सत्ता पर काबिज हैं. उन्होंने सोशल मीडिया और निष्पक्ष पत्रकारों पर विरोधी रैलियां आयोजित करने के आरोप लगाए हैं.
जब प्रतोसेविच से पूछा गया कि उन्हें लुकाशेंको के एजेंटों द्वारा पोलैंड में निशाना बनाए जाने का डर तो नहीं, उन्होंने कहा था कि वह शरण लेने की प्रक्रिया में हैं और उन्हें निर्वासित नहीं किया जाएगा. रमान प्रतोसेविच के निर्वासन के लिए बेलारूस एक बार पोलैंड सरकार को अनुरोध भेज चुका है. लेकिन पोलैंड ने इसे नहीं माना था.
पोलिश अल्पसंख्यक समुदाय के चार अहम कार्यकर्ताओं को बेलारूस में गिरफ्तार किया गया था. इनमें आंजेलिका बोरिस और आंद्रेय पोजोबुत शामिल हैं जो वहां के बड़े सामुदायिक नेता हैं. उन पर एक लोक मेले में लोगों के जमा होने के नियमों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए थे. साथ ही उन पर धार्मिक और राष्ट्रीय नफरत फैलाने जैसे गंभीर आरोप भी थे जिनमें 12 साल तक की जेल हो सकती है. देश के सरकारी टीवी पर पोलैंड विरोधी प्रोपेगैंडा भी जारी है.
मीडिया पर लुकाशेंका का हमला
लुकाशेंको सरकार ने पिछली गर्मियों में हुए चुनावों से कई महीने पहले ही मीडिया और निष्पक्ष पत्रकारों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था. जून में रेडियो फ्री यूरोप के सलाहकार इहार लोसिक और एक अन्य टेलीग्राम चैनल बेलारूस ऑफ द ब्रेन के संस्थापक को हिरासत में ले लिया गया था. तब से हालात बेहद गंभीर हो चुके हैं.
18 मई को सुरक्षाकर्मियों ने tut.by के दफ्तरों पर हमला बोला, जो बेलारूस का सबसे बड़ा मीडिया संस्थान है. वेबसाइट के लिए काम करने वाले पत्रकारों के घरों पर भी छापे मारे गए. पोर्टल की संपादक मैरिना जोलतावा और कई अन्य पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया. 20 साल से यह पोर्टल देश में काफी लोकप्रिय रहा है. सत्तापक्ष और विपक्षी सभी के समर्थक इस पोर्टल के पाठक रहे हैं. मई में इस वेबसाइट की पहुंच रिकॉर्ड 33 लाख लोगों तक हो गई थी, जो देश में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों का 63 प्रतिशत है. मई में ही वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया गया.
देश में दर्जनों निजी समाचार वेबसाइट ब्लॉक की जा चुकी हैं. सैकड़ों पत्रकारों को या तो गिरफ्तार कर लिया गया है या हिरासत में रखा गया है. दर्जनों अखबार बंद किए जा चुके हैं. लेकिन यह काफी नहीं था कि प्रतोसेविच को गिरफ्तार कर लिया गया.
प्रोतासेविच पर आरोप
रमान प्रतोसेविच पर कम से कम तीन आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. उनमें से एक दंगों की साजिश का है, जिसमें 15 साल तक की कैद हो सकती है. हालांकि उनकी कथित आतंकी गतिविधियों के आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन बहुत संभव है कि उन्हें मिंस्क स्थित केजीबी की जेल में रखा गया है. उन्हें वकील से भी नहीं मिलने दिया गया. उनके स्वास्थ्य आदि के बारे में भी कोई सूचना नहीं दी गई है.
रिपोर्ट: हाना लुइबाकोवा