विमानन में बहुत कम हैं महिलाएं
२२ जुलाई २०२२रेबेका लुट्टे अक्सर अपने आरवी-10 हवाई जहाज को लेकर उड़ जाती हैं. कई बार पैसेंजर सीट में उनके पति बैठे होते हैं लेकिन लुट्टे का कहना है कि हवाई यातायात नियंत्रकों ने उनसे कई बार पूछा है कि अगर कोई समस्या आ जाए तो क्या उसका सामना करने के लिए उनके पति उनके साथ बैठे हैं.
वो मुस्कुराते हुए कहती हैं, "ऐसा अक्सर तो नहीं होता. लेकिन यह दिखाता है कि इस मामले में अभी और काम किए जाने की जरूरत है." हाल के सालों में कुछ महिलाओं ने ऐसे पूर्वग्रहों से आगे निकल कर इस क्षेत्र में अपनी जगह बनाई है, लेकिन कुल मिला कर विमानन क्षेत्र में आज भी पुरुषों का ही वर्चस्व है, विशेष रूप से ऊंचे पदों पर.
लुट्टे अमेरिका के ओमाहा शहर में नेब्रास्का विश्वविद्यालय के विमानन इंस्टीट्यूट में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. 2021 में उन्होंने एक अध्ययन किया था जिसमें उन्होंने पाया कि दुनिया की अग्रणी एयरलाइन कंपनियों में महिला पायलटों की संख्या छह प्रतिशत से भी कम है.
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डिजाइन ही पुरुषों के लिए
यात्रियों के हिसाब से दुनिया की 100 सबसे बड़ी कंपनियों में से सिर्फ आठ में महिला बॉस हैं. इनमें एयर फ्रांस की आन रीगेल, एयर लिंगस की लिन्न एमब्लटन और केएलएम की मरियां रिंटेल शामिल हैं.
लुट्टे कहती हैं, "विमानन का मूल रूप से डिजाइन ही पुरुषों ने पुरुषों के लिए बनाया था. धीरे धीरे इसमें महिलाओं की संख्या बढ़ी है लेकिन उन्हें एक ऐसे सिस्टम में खुद को फिट करना पड़ा है जो उनके लिए डिजाइन नहीं किया था."
इस क्षेत्र से जुड़ने की इच्छुक महिलाओं को पुरुषों के लिए डिजाइन की गई वर्दी और प्रशिक्षण मैन्युअलों में महिलाओं का काफी काम प्रतिनिधित्व जैसे अवरोधों का सामना करना पड़ता है. दूसरे क्षेत्रों की तरह, लैंगिकवाद और आक्रामक लैंगिक व्यवहार व्यापक रूप से फैला हुआ है.
वीमेन इन एविएशन इंटरनेशनल संस्था द्वारा 2018 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक 71 प्रतिशत महिलाओं का कहना था कि उन्हें कार्यस्थल पर किसी ना किसी तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद कई महिलाओं ने क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है.
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आदर्शों की जरूरत
इनमें अमेरिका की एमेलिया इयरहार्ट शामिल हैं जो प्लेन में अटलांटिक महासागर को पार करने वाली पहली महिला थीं. फ्रांस की रेमों द लरोश 1910 में पायलट का लाइसेंस पाने वाली पहली महिला बनीं.
बीसवीं शताब्दी में कई महिला एविएटरों ने अपने अपने देशों के लिए जंग लड़ी. अमेरिकी वायु सेना के अर्धसैनिक बल महिला एयरफोर्स सर्विस पायलट्स कार्यक्रम ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वायु सेना की मदद की.
अब जा कर कुछ एयरलाइन कंपनियों ने इस क्षेत्र में असमानता को कम करने को अपनी प्राथमिकता बनाया है. अमेरिकी कंपनी युनाइटेड ने कहा कि उसकी 2030 तक 5,000 पायलटों को प्रशिक्षण देने की योजना है और उनमें से कम से कम आधे महिलाएं और अल्पसंख्यक होंगे.
एयर इंडिया जैसी कुछ कंपनियों ने लैंगिक बराबरी की और व्यवस्था की है. महिला पायलटों की अंतरराष्ट्रीय सोसाइटी के मुताबिक एयर इंडिया के कुल पायलटों में 13 प्रतिशत महिलाएं हैं.
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कनाडा के सीएई सिमुलेशन तकनीक और प्रशिक्षण समूह महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए अनुदान देता है. समूह ने यूरोप की एयरलाइन कंपनी इजीजेट के साथ एक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं.
एयरबस अपनेक्स्ट की सीईओ सैंड्रा बूर शेफर कहती हैं की बराबरी स्थापित होने में समय लगेगा लेकिन आशावादी होने के कारण हैं. वो कहती हैं कि इसकी कुंजी युवाओं को लाने में और प्रशिक्षण पर जोर देने में है.
उनका यह भी कहना है, "सबसे पहले तो हमें लड़कियों के विकल्पों को सीमित नहीं करना चाहिए बल्कि उनके कई दृष्टिकोण दिखाने चाहिए और यह दिखाना चाहिए कि ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें पुरुष और महिलाएं बराबरी से कर सकते हैं."
बूर शेफर यह भी कहती हैं कि आदर्शों के रूप में सफलता हासिल कर चुकी महिलाओं का होना जरूरी है, हालांकि यह अभी भी एक मुश्किल सफर है.
सीके/एए (एएफपी)