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आंदोलन कर रहे किसानों की वित्तीय जांच

चारु कार्तिकेय
२२ दिसम्बर २०२०

किसानों और सरकार की बातचीत बंद है, लेकिन इस बीच आंदोलन में पैसा कहां से आ रहा है इसकी जांच की जा रही है. सवाल उठ रहे हैं कि सरकार गतिरोध को खत्म करने के प्रयासों की जगह किसानों के आंदोलन को शक की नजर से क्यों देख रही है.

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Indien Demonstration gegen Landwirtschaftgesetze
तस्वीर: Mohsin Javed

भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहां) पंजाब के सबसे बड़े किसान संघों में से एक है और उसके सदस्य भी नए कृषि कानूनों के विरोध में लगभग चार हफ्तों से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. संघ के अध्यक्ष जोगिंदर उग्राहां ने मीडिया को बताया है कि उन्हें केंद्र सरकार ने विदेश से मिले चंदे के बारे में जानकारी देने को कहा है.

उग्राहां ने बताया कि उन्होंने दुनिया भर में फैले उनके रिश्तेदारों, दोस्तों और समर्थकों से अपील की थी कि वे आंदोलन जारी रखने में संघ की वित्तीय सहायता करें. इसके बाद विदेश से आर्थिक मदद के रूप में वाकई चंदे में कुछ रकम उनके एक पदाधिकारी के खाते में आई. लेकिन संघ का कहना है कि उनके बैंक मैनेजर ने उन्हें कहा है कि उन्हें यह दिखाना पड़ेगा कि वो विदेश से पैसा लेने के लिए पंजीकृत हैं या नहीं.

विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के अनुसार किसी भी संगठन के लिए विदेशी चंदा स्वीकार करने से पहले पंजीकरण अनिवार्य है. उग्राहां ने बताया कि वो आगे की कार्यवाही के लिए वित्तीय और कानूनी जानकारों की सलाह ले रहे हैं हैं, लेकिन उनका कहना है कि जिस तरह देश में भी लोग उनके आंदोलन के समर्धन में चंदा दे रहे हैं उसी तरह विदेश में रहने वाले भारतीय भी उनके समर्थन में अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई आंदोलनकारियों के लिए भेज रहे हैं.

डटे रहेंगे किसान, ना ठंड का डर ना मौत का

इस बीच मीडिया में आई खबरों में बताया जा रहा है कि पंजाब में कम से कम 14 आढ़तियों के खिलाफ आयकर विभाग ने कार्यवाही की है. इनमें से कई आढ़तियों को विभाग ने नोटिस भेजे हैं और पटियाला, नवांशहर और फिरोजपुर जिलों में आढ़तियों के संघों के पांच नेताओं के परिसरों पर छापे मारे हैं. आढ़तियों ने कहा है कि विभाग उन सब को परेशान कर रहा है जिन्होंने किसान आंदोलन के लिए वित्तीय मदद भेजी है.

इन छापों के खिलाफ आढ़तियों ने पूरे राज्य में अनाज मंडियों को अनिश्चित-काल के लिए बंद करने का फैसला लिया है. उनका कहना है कि आयकर विभाग की कार्रवाई के बावजूद वो किसान आंदोलन का समर्थन करते रहेंगे. किसानों को तीनों नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए एक महीना पूरा होने वाला है. इस दौरान उनकी कई बार केंद्र सरकार के मंत्रियों से बात भी हुई, लेकिन सरकार ने अभी तक उनकी मांग स्वीकार नहीं की है.

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