क्या लॉकडाउन में अभी ढील देना जल्दबाजी है?
२ जून २०२०भारत में कोरोना वायरस के अब तक लगभग 1.9 लाख मामले दर्ज किए जा चुके हैं. जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक बीते रविवार को भारत में एक दिन में सबसे ज्यादा 8,380 नए मामले सामने आए.
देश भर में संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 8 जून से कुछ जगहों पर लॉकडाउन में ढील देने जा रही है. हालांकि गृह मंत्रालय का कहना है कि बहुत ज्यादा जोखिम वाले "कंटेनेटमेंट इलाकों" में लॉकडाउन 30 जून तक बढ़ा दिया है.
अगले हफ्ते से देश के बहुत से इलाकों में रेस्तरां, होटल, शॉपिंग सेंटर और धार्मिक स्थल को फिर से खोलने की अनुमति होगी. इसके बाद जुलाई में स्कूल और कॉलेज खोले जाएंगे. सिनेमा, जिम, स्वीमिंग पूल, पार्क, ऑडिटोरियम और इसी तरह के दूसरे स्थलों को अनिश्चितिकाल के लिए बंद रखा गया है.
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जिन चीजों को खोले जाने की अनुमति दी गई है, वहां पर सामाजिक दूरी बना कर रखनी होगी. भारत में अभी तक कोरोना से मरने वालों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम रही है, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि भारत में इस बीमारी का उच्चतम स्तर आना अभी बाकी है.
भारत में मार्च के महीने से लॉकडाउन है. लेकिन अब देश के बहुत से हिस्सों में इस महीने से इसमें ढील दी जा रही है.
संकट टल चुका है?
विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद भारत सरकार के लिए संक्रमण को फैलने से रोकना चुनौती भरा होगा. भारत में अब तक कोरोना वायरस से 5,400 मौतें हुई हैं जबकि 90 हजार लोग ठीक हो गए हैं.
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि शुरू में ही लॉकडाउन नहीं लगाया जाता तो मरने वालों की संख्या 37 हजार से 78 हजार के बीच हो सकती थी जबकि कुल मामले 14 लाख तक हो सकते थे.
भारत में कोविड-19 के खिलाफ बनी राष्ट्रव्यापी टास्क फोर्स के चेयरमैन वीके पॉल ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "हम वापस पुराने दिनों में नहीं जा सकते. हमने कोरोना के फैलाव और इससे होने वाली मौतों को काफी हद तक रोका है."
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने डीडब्ल्यू को बताया, "भारत में कोरोना से मरने वालों की दर 2.8 प्रतिशत है जो वैश्विक दर 6 प्रतिशत से काफी कम है. उम्मीद है कि भारत में इसका फैलाव अन्य देशों के मुकाबले कम घातक है. इसकी वजह बहुत जल्दी लॉकडाउन लगाना ही है."
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ढील के नुकसान
जर्मनी में कुछ जगहों पर पाबंदियों में ढील का परिणाम संक्रमण के नए मामलों के रूप में सामने आ रहा है. अधिकारियों का कहना है कि गोएटिंगन शहर में वीकेंड पर कई निजी कार्यक्रमों में शामिल हुए लोगों में से 68 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. अधिकारी और ज्यादा लोगों के टेस्ट करने की योजना बना रहे हैं.
शहर प्रशासन का कहना है कि उन सभी लोगों को तलाशने का प्रयास हो रहा है जो कार्यक्रमों में शामिल लोगों के संपर्क में आए, भले ही उनमें कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं या नहीं. अभी तक ऐसे 203 लोगों का पता चला है. इन लोगों को या तो सेल्फ क्वारंटीन में रहने को कहा गया या फिर उनके टेस्ट हो रहे हैं.
संक्रमण के इन नए मामलों से ठीक पहले जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा था कि उनके देश ने अभी तक कोरोना टेस्ट को "पास किया है", लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अभी आगे कुछ और मुश्किल काम बचा है. जर्मनी में भी बड़ी संख्या में कोरोना के मामले सामने आए, लेकिन इससे होने वाली मौतों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम रही. बर्लिन रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट का कहना है कि सोमवार को नॉवेल कोरोना वायरस के 333 नए मामलों के साथ देश भर में कुल मामले 181,815 हो गए हैं.
उधर, राजधानी बर्लिन में पुलिस को वीकेंड पर उस वक्त कार्रवाई करनी पड़ी जब श्प्री नदी में सैकड़ों लोग अपनी नौकाएं लेकर उतर गए. लगभग डेढ़ हजार लोगों की मौजूदगी में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना मुश्किल हो गया. बर्लिन के बंद क्लबों को खोलने के समर्थन में किया गया विरोध प्रदर्शन आखिरकार एक "बोट पार्टी" में तब्दील हो गया. नदी के किनारों पर जमा लोगों ने भी उनका भरपूर साथ दिया. इस तरह के आयोजन संक्रमण के नए मामलों को दावत देते हैं.
भारत की चुनौती
भारत में ज्यादातर मामले पांच राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और मध्य प्रदेश में हैं. मुंबई और अहमदाबाद जैसे शहर इस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित हैं.
देश की सर्वोच्च चिकित्सा संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) का मानना है कि भारत में कोरोना वायरस की स्थिति गंभीर नहीं है. संस्था के निदेशक बलराम भार्गव कहते हैं, "हम कोरोना वायरस से होने वाली मौतों को लेकर चिंतित हैं. हम इस संख्या कम रखने में सफल हुए हैं. अब हम टेस्टों की संख्या बढ़ाएंगे."
दूसरी तरफ, शहरों से गांवों और कस्बों में लौट रहे प्रवासी मजदूरों के कारण देहाती इलाकों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं भी अच्छी नहीं हैं. इसलिए वहां पर खास तौर से ध्यान देगा.
रिपोर्ट: मुरली कृष्ण (दिल्ली से)/डीपीए(एके)
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