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समाज

चांद पर इंसान के पहुंचने की पूरी कहानी

१७ जुलाई २०१९

50 साल पहले पहली बार अमेरिका ने किसी इंसान को चांद पर भेजने में सफलता पायी थी. वह क्षण मिशन में लगे लोगों के लिए गौरान्वित करने वाला था. सालों बाद भी स्मृतियां ताजा है.

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Parkes Observatory radio telescope Australien
तस्वीर: Getty Images/I. Waldie

इंसान ने पहली बार वर्ष 1969 में चांद पर कदम रखा था. पचास साल बाद भी उस पल का अहसास वैसा ही है. लैरी हौग ने अभी हाल ही में स्पेन के मैड्रिड में नासा के एक ट्रैकिंग स्टेशन में डेटा सिस्टम पर्यवेक्षक के रूप में अपनी पारी खत्म की  है. वे कहते हैं, "घर जाते वक्त मैं सड़क पर रूका था. चारों ओर घना अंधेरा था. मैं कार से बाहर निकला. मैंने चांद की ओर देखा. चांद भगवान की तरह था. हमने पाया कि वहां दो लोग खड़े हैं." मैड्रिड उन तीन जगहों में से एक था, जहां अमेरिकी अंतरिक्ष  एजेंसी ने अपने मानव अंतरिक्ष अभियानों की प्रगति को ट्रैक करने के लिए रेडियो दूरबीन  लगाया था. लैरी हौग कहते हैं, "वह गर्व का क्षण था."

राष्ट्रपति कैनेडी ने 1961 में घोषणा की थी कि अमेरिका चांद पर जा रहा है. इसके बाद वे अपने लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़े. हौग कहते है, "हमारे पास कुछ नहीं था. हमारा कोई आदमी अंतरिक्ष में भी नहीं गया था. और अगले आठ साल में हमने  दो लोगों को चांद पर उतारा. हमने जो किया था, वह अविश्वसनीय था."  

अपोलो अंतरिक्ष कार्यक्रम एक अमेरिकी कहानी है. यह एक शीत युद्ध की कहानी है- एक बंद, साम्यवादी दुनिया के खिलाफ एक मुक्त विश्व की. इस मायने में यह एक वैश्विक कहानी है. अमेरिकी लोग बाकी दुनिया की सहायता के बगैर इसे कभी नहीं कर सकते थे. यहां तक की रुस के बिना भी नहीं. वे अंतरिक्ष में किसी व्यक्ति को भेजने वाले पहले थे. यहीं से अमेरिका को प्रेरणा मिली थी.

Mondlandung 1969 Colin Mackellar
तस्वीर: Privat

तकनीकी दृष्टिकोण से अमेरिका ने दुनिया भर से विशेषज्ञों को आकर्षित किया. यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के तकनीशियन और इंजीनियर, यूके की कंपनियां, स्थानीय तकनीशियनों वाले ट्रैकिंग स्टेशनों का सहयोग अमेरिकियों को मिला. इसके अलावा अमेरिका के मोजावे रेगिस्तान में गोल्डस्टोन और ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा के समीप हनीसकल क्रीक दो अन्य मुख्य जगहें थीं.

यह एक वैश्विक नेटवर्क था, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में कांगो, नाइजीरिया, प्रशांत (गुआम) और बरमूडा, एंटीगुआ, एसेंशन द्वीप में बने स्टेशन तथा टेक्सास के ह्यूस्टन से नियंत्रित जहाजें थी. सभी जगहों से एक साथ पृथ्वी पर चंद्रमा के सतह के आसपास  की  24 घंटे कवरेज दी जा रही थी. हौग बताते हैं, "चंद्रमा पूर्व से पश्चिम की ओर पृथ्वी के साथ घूमता है. एक चक्कर में 12 से 14 घंटे लगते हैं. जब आप आकाश को देखते हैं, तो आप हमेशा चंद्रमा को नहीं पाते हैं. ह्यूस्टन के लोग इसे नहीं देख सकते थे जब हम इसे देख रहे थे."

Mond Armstrong und Aldrin mit US-Flagge
तस्वीर: picture-alliance/Heritage Images/NASA/Oxford Science Archive

जब नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन चंद्रमा पर उतरे तो उन्हें देखने वाला मैड्रिड पहला स्टेशन था. दूसरी तरफ माइकल कोलिन्स को कमांड मॉड्यूल से इसका पता चला. दूसरों के साथ मैड्रिड ने अंतरिक्ष यात्रियों के टेलीमेट्री डेटा को ट्रैक किया. हौग याद करते हैं, "आर्मस्ट्रांग जब चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार हो रहे थे तब उनके हृदय की गति 120-130 हो गई." टीवी कैमरों ने इसे देखा और इसे लाइव स्ट्रीम किया. हौग आगे कहते हैं, "हमें इसके लिए डांट सुननी पड़ी क्योंकि यह मेडिकल डाटा  था और इसे जारी नहीं किया जाना चाहिए था! और जब मैंने उस रात काम बंद कर दिया, तब हमने चांद पर पहला कदम रखने के लिए हनीसकल क्रीक पर सब कुछ बदल दिया."

कौन परवाह करता है कि क्या अंतरिक्ष यात्री वास्तव में कभी चंद्रमा पर उतरे थे, या क्या यह किसी छिपे हुए अमेरिकी स्टूडियो में फर्जी वीडियो बनाया गया था? यदि आप 1969 में ऑस्ट्रेलिया में थे, तो आप सभी जानते थे कि उन टेलीविजन चित्रों को  ऑस्ट्रेलियाई बुश के माध्यम से दुनिया भर में भेजा जा रहा था. वहां हनीसकल क्रीक और पार्केस रेडियो टेलीस्कोप था.

लैंडिंग से लगभग एक महीने पहले पार्केस को लूप में लाया गया था. एक बार उड़ान योजना से यह स्पष्ट हो गया था कि अंतरिक्ष में इंसान को देखने के लिए चंद्रमा की सीधी रेखा ऑस्ट्रेलिया में होगी. गिलियन स्कोनबोर्न हनीसकल क्रीक में संचार विभाग में काम करती थीं. ऑपरेशन रूम में जॉन सैक्सन, केन ली और माइक डैन के माध्यम से स्कोनबोर्न और उनके पुरुष सहयोगियों ने मिशन संदेश, टेलीमेट्री और मेडिकल अपडेट के साथ पेपर संदेशों को आगे बढ़ाया था.  

रिपोर्ट-जुल्फिकार अब्बानी

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