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आतंकवाद

क्यों नहीं रुक रहे आतंकी हमले?

१ जुलाई २०२०

जम्मू और कश्मीर में एक आतंकवादी हमले में एक सीआरपीएफ जवान और एक नागरिक की जान चली गई है. पिछले महीने सुरक्षाबलों के साथ कई मुठभेड़ों में कम से कम 48 आतंकवादी मारे गए. इस साल 100 से भी ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं.

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IWMF 2020 Preisträgerin Masrat Zahra, Fotojournalistin | Bild aus Kaschmir, Indien, 2019
तस्वीर: picture-alliance/Zuma/Masrat Zahra

बुधवार सुबह जम्मू और कश्मीर के बारामुल्ला जिले के सोपोर में एक आतंकवादी हमले में कम से कम एक सीआरपीएफ जवान और एक नागरिक की जान चली गई. हमले में सीआरपीएफ के तीन और जवान घायल हो गए. हमला तब हुआ जब सुरक्षाबलों की एक टुकड़ी गश्त पर निकली हुई थी. जवानों ने आतंकवादियों की गोलीबारी का जवाब भी दिया लेकिन वे भाग निकलने में कामयाब रहे.

एक वरिष्ठ पुलिसकर्मी ने मीडिया को बताया कि हमले के स्थान पर एक व्यक्ति एक बच्चे के साथ मौजूद था. उस व्यक्ति को भी गोली लगी और उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई. बच्चा सुरक्षित है.

सीमा-पार से आतंकवादियों का लगातार आते रहना सुरक्षाबलों के लिए एक चुनौती बना हुआ है. एक अनुमान के अनुसार पिछले महीने सुरक्षाबलों के साथ कई मुठभेड़ों में कम से कम 48 आतंकवादी मारे गए. पिछले महीने राज्य पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने मीडिया को बताया था कि इस साल 100 से भी ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं, जिनमें 50 से ज्यादा हिज्बुल मुजाहिद्दीन, करीब 20 लश्कर-ए-तैयबा, 20 जैश-ए-मोहम्मद और कई अल-बद्र, अंसार गजवतुल हिंद इत्यादि जैसे छोटे छोटे आतंकी संगठनों से थे.

दो सप्ताह पहले चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के 20 सिपाहियों के मारे जाने के बाद चीन के साथ सीमा पर तनाव इतना बढ़ गया है कि वहां भारतीय सेना ने भारी संख्या में सिपाहियों और हथियारों की तैनाती कर दी है. ऐसे में दूसरी सीमा यानी भारत-पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पर भी लगातार तनाव बने रहने से सुरक्षाबलों की चुनौतियां बढ़ गई हैं.

सुरक्षाबलों को पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रहे युद्ध-विराम के उल्लंघन का जवाब देना और सीमा-पार से लगातार आ रहे आतंकवादियों का सामना, दोनों एक साथ करना पड़ रहा है. मीडिया में आई खबरों के अनुसार इस साल मई में युद्ध-विराम के उल्लंघन की 382 घटनाएं और जून में 302 घटनाएं सामने आईं. पिछले साल इन्हीं महीनों में 221 और 181 घटनाएं हुई थीं. पाकिस्तान ने सीमा पर गोलाबारी तेज कर दी है, जो महामारी के बीच भी कम नहीं हुई.

Indische Soldaten
2 जून को कश्मीर के त्राल में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के बीच भारतीय सेना के सिपाही.तस्वीर: picture-alliance/AA/F. Khan

जानकारों का कहना है कि सीमा-पार से गोलाबारी आतंकवादियों की मदद करने के लिए ही की जाती है ताकि सुरक्षाबलों का ध्यान गोलीबारी का जवाब देने में लगा रहे और मौके का फायदा उठा कर आतंकवादी भारतीय सीमा के अंदर घुस आएं.

मई में सेना प्रमुख जनरल एमएम नारवाने ने कहा था कि सुरक्षाबलों को चीन और पाकिस्तान के खिलाफ एक साथ दो-मोर्चों पर जंग की संभावना के लिए तैयार रहना चाहिए, हालांकि उसकी संभावना काफी काम है.

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