तालाबंदी में छूट पर केंद्र बनाम राज्य
२१ अप्रैल २०२०सोमवार 20 अप्रैल से देश भर में तालाबंदी में कुछ ढील तो दी गई लेकिन कई तरह की रियायतें ऐसी हैं जिन पर केंद्र और राज्य सरकारों में सहमति नहीं बन पाई है. जैसे केरल सरकार ने कुछ जगहों पर होटलों, बाल काटने की दुकानों, किताब की दुकानों जैसे संस्थानों को भी खोलने की इजाजत दे दी थी, जिसे केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर गलत और तालाबंदी के नियमों का उल्लंघन बताया. केंद्र के आपत्ति व्यक्त करने पर केरल ने बाद में इस तरह के संस्थान बंद कर दिए.
संभव है कि और भी राज्यों में ऐसा हुआ हो क्योंकि केंद्र सरकार ने अब छह ऐसी टीमें बनाई हैं जो राज्यों में जा कर स्थिति का आकलन करेंगी और जरूरी निर्देश देंगी. केंद्र का कहना है कि राज्यों को तालाबंदी केंद्र से ज्यादा सख्ती से लागू करने की इजाजत तो है, लेकिन केंद्र ने जिन रियायतों की घोषणा की है उससे ज्यादा छूट देने की इजाजत नहीं है. इसलिए जिन राज्यों से इस तरह के उल्लंघन की खबर आई है वहां ये केंद्रीय टीमें जाएंगी, स्थिति का जायजा लेंगी, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को निर्देश देंगी और फिर केंद्र को रिपोर्ट देंगी.
इन टीमों में अलग अलग केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी हैं और इन्हें राज्य सरकारों को निर्देश देने का भी अधिकार दिया गया है. पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में दो-दो टीमें भेजी जाएंगी और मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक-एक. केंद्र सरकार का कहना है कि मध्य प्रदेश के इंदौर, राजस्थान के जयपुर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता, हावड़ा, मेदिनीपुर पूर्व, उत्तर 24 परगना, दार्जीलिंग, कलिम्पोंग और जलपाईगुड़ी में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है और यहां विशेष ध्यान देना होगा.
इन राज्यों में से सिर्फ एक राज्य में बीजेपी की सरकार है - मध्य प्रदेश. बाकी तीनों राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकार है. इन टीमों के गठन और इन्हें राज्यों में भेजे जाने का विरोध करते हुए, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि यह कदम संघवाद या फेडेरलिज्म के सिद्धांतों से मेल नहीं खाता. उन्होंने केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा है कि किस आधार पर केंद्रीय टीमें राज्यों में भेजी जा रही हैं.
कोरोना वायरस से संक्रमण के देश में कुल मामले बढ़ कर 18,601 हो गए हैं जिनमें सक्रिय मामले 14,759 हैं. जिन राज्यों में केंद्रीय टीमें भेजी गई हैं उनमें से महाराष्ट्र अभी भी कुल मामलों की संख्या में सभी राज्यों से आगे है. वहां कुल 4,666 मामले हो चुके हैं. मध्य प्रदेश में 1,485 मामले हैं, राजस्थान में 1,576 और पश्चिम बंगाल में 392.
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