नेपाल जाएंगे थल सेना प्रमुख
१५ अक्टूबर २०२०नेपाल की थल सेना ने बुधवार को एक बयान में कहा कि जनरल नरवणे नवंबर में नेपाल आएंगे. यात्रा की तारीख के बारे में विस्तार से नहीं बताया गया, लेकिन नेपाल सेना ने यह कहा कि नेपाल सरकार ने यात्रा की स्वीकृति फरवरी में ही दे दी थी. उसके बाद दोनों देशों में तालाबंदी की वजह से यात्रा का कार्यक्रम आगे नहीं बढ़ पाया. यात्रा के दौरान नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी सेना प्रमुख को नेपाल की सेना के ऑनररी जनरल की उपाधि से नवाजेंगी.
जानकारों का कहना है कि यह दोनों देशों की सेनाओं के बीच 70 सालों से चल रही परंपरा का हिस्सा है. यह देखना होगा कि इस यात्रा का दोनों देशों के रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में यह रिश्ते बिगड़े हैं. हाल ही में भारत ने मानसरोवर यात्रा के मार्ग पर उत्तराखंड के धारचुला से भारत, चीन और नेपाल की सीमा पर स्थित लिपुलेख तक एक नई सड़क का उदघाटन किया था, जिससे नेपाल नाराज हो गया था.
इसके जवाब में नेपाल सरकार ने देश का एक नया नक्शा जारी कर दिया. दरअसल उत्तराखंड और नेपाल के सुदूरपश्चिम प्रदेश प्रांतों के बीच दोनों देशों की सीमा पर लिपुलेख और कालापानी घाटी से ले कर लिंपियाधुरा दर्रे तक पूरा का पूरा विवादित इलाका है. 1998 से दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत चल रही है. लेकिन 20 मई को मामला अचानक गंभीर हो गया जब नेपाल ने अपना एक नया नक्शा जारी कर दिया जिसमें पहली बार विवादित इलाके को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया.
भारत के विरोध के बावजूद नेपाल इस नक्शे पर अड़ा रहा और नेपाल की संसद ने एक संविधान संशोधन विधेयक पारित कर इस नए मानचित्र को मान्यता भी दे दी. तब से दोनों देशों के बीच तल्खी आ गई. पिछले कुछ महीनों में हालात को सुधारने के कुछ प्रयास हुए हैं, जिनके तहत पहले तो दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच फोन पर बातचीत हुई और फिर काठमांडू में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक बैठक हुई. बैठक में भारत के खर्चे पर नेपाल में चल रही परियोजनों की समीक्षा हुई.
जनरल नरवणे की यात्रा इस पूरे प्रकरण के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय यात्रा है. इसके लिए जनरल नरवणे का चुना जाना भी दिलचस्प है क्योंकि मानचित्र विवाद विशेष रूप से उनके उस बयान के बाद भड़क गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि नेपाल "किसी और के इशारे पर" यह सब कर रहा है. नेपाल में उनके बयान का बहुत विरोध हुआ था. यहां तक कि नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने इस बयान को नेपाल के लिए "अपमानजनक" बताया था.
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