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समाज

दिलीप कुमार, राज कपूर के घर बनेंगे संग्रहालय

चारु कार्तिकेय
३ जून २०२१

पाकिस्तान में खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत की सरकार ने राज कपूर और दिलीप कुमार के पुश्तैनी मकानों को अपने अधीन कर लिया है. सरकार के पुरातत्व विभाग की इन घरों को संग्रहालयों में बदल देने की योजना है.

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Raj Kapoor

हिंदी फिल्मों के दोनों दिग्गजों के पुश्तैनी मकान खैबर पख्तून ख्वाह की राजधानी पेशावर के पुराने इलाके में हैं. प्रांत के पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के निदेशक डॉक्टर अब्दुल समद ने पाकिस्तानी मीडिया को बताया कि दोनों मकानों के मौजूदा मालिकों ने मालिकाना हक प्रांत की सरकार को दे दिया था. विभाग पहले ही घोषणा कर चुका है कि उसकी इन दोनों मकानों की मरम्मत करवा कर इनमें संग्रहालय बनाने की योजना है.

अब्दुल समद ने यह भी बताया कि इस पूरी कवायद का उद्देश्य बॉलीवुड के पेशावर से संबंध को वापस लाना है. राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर को हिंदी फिल्मों के अग्र-दूत के रूप में जाना जाता है और वो पेशावर के ही रहने वाले थे. खुद राज कपूर का जन्म इसी मकान में हुआ था जो पेशावर की सबसे पुरानी और सबसे मशहूर गली किस्सा ख्वानी में मौजूद है. किस्सा ख्वानी का शाब्दिक अर्थ है कहानी सुनाने वालों की गली.

यह एक खूबसूरत संयोग है कि इस गली में ऐसी हस्तियों ने जन्म लिया जिन्होंने हिंदी फिल्मों के माध्यम से युगों युगों तक जिंदा रह जाने वाली कहानियां दुनिया को दीं. बताया जाता है कि दिलीप कुमार का मकान भी राज कपूर के मकान से मुश्किल से 200 मीटर दूर है. सिर्फ इतना ही नहीं, पेशावर के ही इस इलाके में हिंदी फिल्मों के एक और लोकप्रिय अभिनेता शाहरुख खान का भी पुश्तैनी मकान मौजूद है.

पाकिस्तान में हिंदी फिल्मों की लोकप्रियता

हिंदी फिल्में पाकिस्तान में बहुत पसंद की जाती हैं और हिंदी फिल्मों के अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के लाखों चाहने वाले हैं. स्पष्ट है की पेशावर का हिंदी फिल्मों के साथ अटूट संबंध है.फरवरी में दिलीप कुमार की तरफ से उनके परिवार के करीबी फैसल फारूकी ने कहा था कि कुमार के दिल में पेशावर के लिए खास जगह है और उन्होंने उनके पुश्तैनी मकान की मरम्मत कराए जाने और वहां संग्रहालय बनाए जाने का स्वागत किया. खुद दिलीप कुमार ने अक्टूबर 2020 में उस मकान में अपने बिताए दिनों को याद करते हुए कई ट्वीट किए थे. 

2020 में जब राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर का देहांत हुआ था तब पेशावर में भी शोक मनाया गया था. राज कपूर और दिलीप कुमार दोनों के परिवार 1947 में हुई पाकिस्तान की स्थापना से पहले ही पेशावर छोड़ कर बंबई आ गए थे. उनके मकानों को मालिकाना हक धीरे धीरे दूसरे परिवारों के पास पहुंच गया और मकानों को ठीक से देख रेख नहीं हो पाई. दोनों मकान 100 सालों से भी ज्यादा पुराने हैं और दोनों को बहुत मरम्मत की जरूरत है.

पुरातत्व विभाग की योजना है कि मरम्मत के बाद वहां ऐसे संग्रहालय बनाए जाएंगे जिनमें दोनों कलाकारों के अलावा शाह रुख खान से भी जुड़े स्मृति चिन्ह रखे जाएंगे. इसके अलावा एक फिल्म लाइब्रेरी भी बनाई जाएगी. पेशावर प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक राज कपूर के मकान की कीमत 1.15 करोड़ लगाई गई और दिलीप कुमार के मकान की कीमत 72 लाख रुपए लगाई गई.

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