त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा
२८ अक्टूबर २०२१मामला त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से अरीब 155 किलोमीटर दूर स्थित पानीसागर इलाके का है जहां बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हुई हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने 26 अक्टूबर को एक रैली निकाली थी. रैली के दौरान कुछ मुस्लिम व्यापारियों के घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई और फिर उन्हें जला दिया गया. आरोप है कि एक मस्जिद में भी तोड़फोड़ की गई.
स्थानीय पुलिस का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद की रैली में करीब 3,500 कार्यकर्ता शामिल थे. हिंसा के संबंध में दो मामले दर्ज किए हैं लेकिन अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. पानीसागर और आस पास के इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है. हालांकि कई लोगों का कहना है कि 26 अक्टूबर का घटनाक्रम छिटपुट नहीं था और राज्य के कई इलाकों में कई दिनों से हिंसक घटनाएं हो रही हैं जिनमें मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है.
नफरती अपराधों का सिलसिला
पत्रकार समृद्धि सकुनिया ने एक ट्वीट में बताया कि पिछले एक हफ्ते में पूरे राज्य में नफरती अपराधों के कम से कम 21 मामलों की पुष्टि हुई है. इनमें से 15 मामले अलग अलग मस्जिदों के तोड़ फोड़ के थे. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ दूर दराज इलाकों की कम से कम तीन मस्जिदों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया है.
हालांकि त्रिपुरा पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया पर झूठी खबरें, तस्वीरें और वीडियो फैला कर मामले को और भड़काने की कोशिश की जा रही है. पुलिस ने कहा है कि झूठी खबरों को फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
बांग्लादेश में हालात
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान 13 अक्टूबर से लेकर कई दिनों तक पूजा के पंडालों और हिंदु परिवारों के घरों पर हमले किए गए और उन्हें जला दिया गया. इस तरह की हिंसा देश के कई इलाकों में हुई. हालांकि बांग्लादेश सरकार ने हिंसा के तुरंत बाद देश के अल्पसंख्यक हिंदू समाज को सुरक्षा का आश्वासन देने के लिए कई कदम उठाए.
सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग ने हिंसा के विरोध में रैलियां निकालीं. मीडिया रिपोर्टों में सामने आया है कि बांग्लादेश पुलिस ने 693 लोगों को हिरासत में लिया है. हालांकि भारत में विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदूवादी दक्षिणपंथी संगठनों तब से इन घटनाओं पर आक्रोश प्रकट कर रहे हैं. परिषद ने इन घटनाओं को बांग्लादेश में "हिंदुओं का नरसंहार" बताते हुए, इसे रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र को भी चिट्ठी लिखी है. त्रिपुरा की रैली भी इसी अभियान का एक हिस्सा थी.