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भीड़ से निपटता जापान मेट्रो स्टेशन

२३ अगस्त २०१३

दिल्ली की मेट्रो और मुंबई की लोकल ट्रेन में सफर करने वाले लोग जानते हैं कि हर रोज उन्हें कितनी भीड़ से जूझना पड़ता है. जापान में भी ऐसी ही हालत है. टोक्यो का मेट्रो स्टेशन बहुत ही वैज्ञानिक ढंग से इस चुनौती से निपट रहा है.

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तस्वीर: Junko Kimura/AFP/Getty Images

जापान भले ही छोटा सा देश हो लेकिन आबादी के मामले में यह दुनिया में दसवें नंबर पर है. ऐसे में भीड़ तो लाजमी है. टोक्यो का शिनजुकु मेट्रो स्टेशन हर दिन हजारों लोगों से भरा रहता है. ट्रेन में घुसने और निकलने की भाग दौड़ में इस स्टेशन से हर दिन करीब तीस लाख लोग गुजरते हैं. यात्रियों के आधार पर यह दुनिया का सबसे व्यस्त और बड़ा स्टेशन है.

सुबह से देर रात तक यहां मेट्रो कई चक्कर लगाती हैं और वह भी बिना लेट लतीफी के. अव्यवस्था के लिए यहां कोई जगह नहीं है.

इस इंतजाम के लिए जिम्मेदार है रेल्वे टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट ऑफ जापान. यह एक अर्धसरकारी शोध संस्थान है जो जापान में सार्वजनिक परिवहन का विस्तार करता है. समय के साथ जरूरतें बदली हैं. स्टेशनों पर लोगों की भीड़ को नियंत्रित करना अब सबसे बड़ी चुनौती है.

Japan Öffentlicher Personennahverkehr in Tokio
रेलमपेल या ठूंसाठूंस की जगह अब स्टेशन पर लोग आराम से गुजर रहे हैं.तस्वीर: Kazuhiro/AFP/Getty Images

कंप्यूटर बनाता है रास्ता

आईटी एक्सपर्ट कंप्यूटर के जरिए जापान के ट्रेन स्टेशनों की भीड़ पर नजर रखते हैं. एक खास सिमुलेशन प्रोग्राम की मदद से आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है. स्टेशनों की भीड़ कंप्यूटर में हल्के हरे रंग से चमकने लगती हैं.

हाल ही में मेट्रो स्टेशनों पर कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं. ये कितने कारगर साबित हो रहे हैं, इनका पता सिमुलेशन से चलता है. विशेषज्ञ हर वर्ग मीटर जगह के हिसाब से लोगों की गिनती करते हैं. इस दौरान लोगों की औसत चाल दर्ज की जाती है. फिर उन जगहों का पता लगाया जाता है जहां भीड़ जमा हो रही है या लोगों की चाल धीमी पड़ रही है. कंप्यूटर स्क्रीन पर लोग छोटे छोटे तीर की तरह दिखाई पड़ते हैं, जो एक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. लाल बिंदु बताते हैं कि दिक्कत कहां आ रही है.

इस प्रोग्राम के जरिए स्टेशनों में बदलाव किए गए हैं. रास्तों को खास जगहों पर चौड़ा किया गया है और मोड़ काटे गए हैं. नतीजतन रेलमपेल या ठूंसाठूंस की जगह अब कई स्टेशनों पर लोग आराम से गुजर रहे हैं.

Indien - Delhi Metro
इस तरह के सिस्टम से दिल्ली मेट्रो को भी फायदा मिल सकता है.तस्वीर: Getty Images/Afp/Raveendran

नेत्रहीनों पर विशेष ध्यान

ऐसी भागदौड़ में विकलांगों के लिए भी खास इंतजाम करने जरूरी हैं. स्टेशनों और सार्वजनिक जगहों पर खास रंग के निशान लगाए गए हैं. दृष्टिहीनों की जिंदगी आसान करने के लिए रेलवे एक वॉयस नेविगेशन सिस्टम बनाने में जुटा है. फोन पर जगह का नाम कहने से रास्ता पता चलने लगेगा.

इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो की तरह यहां भी पीली पट्टी लगाई गयी है जो नेत्रहीनों को रास्ता दिखाती है. इस पट्टी के उभारों के भीतर चिप फिट की गई है. एक खास वॉकिंग स्टिक मोबाइल की मदद से रास्ते का पता लगाएगी. वॉकिंग स्टिक को पट्टी से सिग्लन मिलते हैं. मेट्रो स्टेशन सिस्टम को भी जल्द दृष्टिहीनों के अनुकूल बनाने की तैयारी है. चुनौतियों से पार पाने के इस जापानी स्टाइल से दुनिया भी हैरान है.

रिपोर्ट: निखिल रंजन

संपादन: ईशा भाटिया

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